कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَفَمَن وَعَدۡنَٰهُ وَعۡدًا حَسَنٗا فَهُوَ لَٰقِيهِ كَمَن مَّتَّعۡنَٰهُ مَتَٰعَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا ثُمَّ هُوَ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ مِنَ ٱلۡمُحۡضَرِينَ

तो क्या वह व्यक्ति जिसे हमने एक अच्छा वादा दिया, फिर वह उसे प्राप्त करने वाला है, उस व्यक्ति की तरह है, जिसे हमने सांसारिक जीवन का सामान दिया, फिर वह क़ियामत के दिन उपस्थित किए जाने वालों में से होगा?[21]

तफ़्सीर:

21. अर्थात दंड और यातना का अधिकारी होगा।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 61

وَيَوۡمَ يُنَادِيهِمۡ فَيَقُولُ أَيۡنَ شُرَكَآءِيَ ٱلَّذِينَ كُنتُمۡ تَزۡعُمُونَ

और जिस दिन वह[22] उन्हें पुकारेगा, तो कहेगा : कहाँ हैं मेरे वे साझी, जो तुम दावा करते थे?

तफ़्सीर:

22. अर्थात अल्लाह प्रलय के दिन पुकारेगा।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 62

قَالَ ٱلَّذِينَ حَقَّ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقَوۡلُ رَبَّنَا هَـٰٓؤُلَآءِ ٱلَّذِينَ أَغۡوَيۡنَآ أَغۡوَيۡنَٰهُمۡ كَمَا غَوَيۡنَاۖ تَبَرَّأۡنَآ إِلَيۡكَۖ مَا كَانُوٓاْ إِيَّانَا يَعۡبُدُونَ

वे लोग कहेंगे जिनपर बात[23] सिद्ध हो चुकी : ऐ हमारे पालनहार! ये वे लोग हैं जिन्हें हमने गुमराह किया, हमने उन्हें उसी तरह गुमराह किया जैसे हम गुमराह हुए। हम तेरे सामने (इनसे) अलग होने की घोषणा करते हैं। ये हमारी[24] तो पूजा नहीं करते थे।

तफ़्सीर:

23. अर्थात दंड और यातना के अधिकारी होने की। 24. ये हमारे नहीं बल्कि अपने मन के पुजारी थे।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 63

وَقِيلَ ٱدۡعُواْ شُرَكَآءَكُمۡ فَدَعَوۡهُمۡ فَلَمۡ يَسۡتَجِيبُواْ لَهُمۡ وَرَأَوُاْ ٱلۡعَذَابَۚ لَوۡ أَنَّهُمۡ كَانُواْ يَهۡتَدُونَ

तथा कहा जाएगा : अपने साझियों को पुकारो। तो वे उन्हें पुकारेंगे, परंतु वे उन्हें उत्तर न देंगे। तथा वे यातना को देखेंगे, (तो कामना करेंगे) काश कि उन्होंने मार्गदर्शन स्वीकार किया होता।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 64

وَيَوۡمَ يُنَادِيهِمۡ فَيَقُولُ مَاذَآ أَجَبۡتُمُ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

और जिस दिन वह (अल्लाह) उन्हें पुकारेगा, फिर कहेगा : तुमने रसूलों को क्या उत्तर दिया?

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 65

فَعَمِيَتۡ عَلَيۡهِمُ ٱلۡأَنۢبَآءُ يَوۡمَئِذٖ فَهُمۡ لَا يَتَسَآءَلُونَ

तो उस दिन उनसे सब बातें लुप्त हो जाएँगी, इसलिए वे एक-दूसरे से (भी) नहीं पूछेंगे।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 66

فَأَمَّا مَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَٰلِحٗا فَعَسَىٰٓ أَن يَكُونَ مِنَ ٱلۡمُفۡلِحِينَ

फिर जिसने क्षमा माँग ली तथा ईमान ले आया और अच्छा कर्म किया, तो आशा है कि वह सफल होने वालों में से होगा।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 67

وَرَبُّكَ يَخۡلُقُ مَا يَشَآءُ وَيَخۡتَارُۗ مَا كَانَ لَهُمُ ٱلۡخِيَرَةُۚ سُبۡحَٰنَ ٱللَّهِ وَتَعَٰلَىٰ عَمَّا يُشۡرِكُونَ

और आपका पालनहार जो चाहता है पैदा करता है और चुन लेता है, उनके लिए कभी भी अधिकार नहीं। अल्लाह पवित्र है तथा बहुत उच्च है, उससे जो वे साझी बनाते हैं।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 68

وَرَبُّكَ يَعۡلَمُ مَا تُكِنُّ صُدُورُهُمۡ وَمَا يُعۡلِنُونَ

और आपका पालनहार जानता है, जो कुछ उनके सीने छिपाते हैं और जो कुछ वे ज़ाहिर करते हैं।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 69

وَهُوَ ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۖ لَهُ ٱلۡحَمۡدُ فِي ٱلۡأُولَىٰ وَٱلۡأٓخِرَةِۖ وَلَهُ ٱلۡحُكۡمُ وَإِلَيۡهِ تُرۡجَعُونَ

तथा वही अल्लाह है, जिसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। उसी के लिए दुनिया और आख़िरत में सब प्रशंसा है। तथा उसी का हुक्म (चलता) है और उसी की ओर तुम लौटाए[25] जाओगो।

तफ़्सीर:

25.अर्थात ह़िसाब और प्रतिफल के लिए।

सूरह का नाम : Al-Qasas   सूरह नंबर : 28   आयत नंबर: 70

नूजलेटर के लिए साइन अप करें