कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

لَآ أُقۡسِمُ بِيَوۡمِ ٱلۡقِيَٰمَةِ

मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन[1] की।

وَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلنَّفۡسِ ٱللَّوَّامَةِ

तथा मैं क़सम खाता हूँ निंदा[2] करने वाली अंतरात्मा की।

أَيَحۡسَبُ ٱلۡإِنسَٰنُ أَلَّن نَّجۡمَعَ عِظَامَهُۥ

क्या इनसान समझता है कि हम कभी उसकी हड्डियों को एकत्र नहीं करेंगे?

بَلَىٰ قَٰدِرِينَ عَلَىٰٓ أَن نُّسَوِّيَ بَنَانَهُۥ

क्यों नहीं? हम इस बता का भी सामर्थ्य रखते हैं कि उसकी उंगलियों की पोर-पोर सीधी कर दें।

بَلۡ يُرِيدُ ٱلۡإِنسَٰنُ لِيَفۡجُرَ أَمَامَهُۥ

बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे भी[3] गुनाह करता रहे।

يَسۡـَٔلُ أَيَّانَ يَوۡمُ ٱلۡقِيَٰمَةِ

वह पूछता है कि क़ियामत का दिन कब होगा?

فَإِذَا بَرِقَ ٱلۡبَصَرُ

तो जब आँख चौंधिया जाएगी।

وَخَسَفَ ٱلۡقَمَرُ

और चाँद को ग्रहण लग जाएगा।

وَجُمِعَ ٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ

और सूर्य और चाँद एकत्र[4] कर दिए जाएँगे।

يَقُولُ ٱلۡإِنسَٰنُ يَوۡمَئِذٍ أَيۡنَ ٱلۡمَفَرُّ

उस दिन मनुष्य कहेगा कि भागने का स्थान कहाँ है?

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