कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

كَلَّا لَا وَزَرَ

कदापि नहीं, शरण लेने का स्थान कोई नहीं।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 11

إِلَىٰ رَبِّكَ يَوۡمَئِذٍ ٱلۡمُسۡتَقَرُّ

उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर लौटकर जाना है।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 12

يُنَبَّؤُاْ ٱلۡإِنسَٰنُ يَوۡمَئِذِۭ بِمَا قَدَّمَ وَأَخَّرَ

उस दिन इनसान को बताया जाएगा जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।[5]

तफ़्सीर:

5. अर्थात संसार में जो कर्म किया और जो करना चाहिए था, फिर भी नहीं किया।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 13

بَلِ ٱلۡإِنسَٰنُ عَلَىٰ نَفۡسِهِۦ بَصِيرَةٞ

बल्कि इनसान स्वयं अपने विरुद्ध गवाह[6] है।

तफ़्सीर:

6. अर्थात वह अपने अपराधों को स्वयं भी जानता है क्योंकि पापी का मन स्वयं अपने पाप की गवाही देता है।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 14

وَلَوۡ أَلۡقَىٰ مَعَاذِيرَهُۥ

अगरचे वह अपने बहाने पेश करे।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 15

لَا تُحَرِّكۡ بِهِۦ لِسَانَكَ لِتَعۡجَلَ بِهِۦٓ

(ऐ नबी!) आप इसके साथ अपनी ज़ुबान न हिलाएँ[7], ताकि इसे शीघ्र याद कर लें।

तफ़्सीर:

7. ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) फ़रिश्ते जिब्रील से वह़्य पूरी होने से पहले इस भय से उसे दुहराने लगते कि कुछ भूल न जाएँ। उसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4928, 4929) इसी विषय को सूरत ताहा तथा सूरतुल-आला में भी दुहराया गया है।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 16

إِنَّ عَلَيۡنَا جَمۡعَهُۥ وَقُرۡءَانَهُۥ

निःसंदेह उसको एकत्र करना और (आपका) उसे पढ़ना हमारे ज़िम्मे है।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 17

فَإِذَا قَرَأۡنَٰهُ فَٱتَّبِعۡ قُرۡءَانَهُۥ

अतः जब हम उसे पढ़ लें, तो आप उसके पठन का अनुसरण करें।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 18

ثُمَّ إِنَّ عَلَيۡنَا بَيَانَهُۥ

फिर निःसंदेह उसे स्पषट करना हमारे ही ज़िम्मे है।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 19

كَلَّا بَلۡ تُحِبُّونَ ٱلۡعَاجِلَةَ

कदापि नहीं[8], बल्कि तुम शीघ्र प्राप्त होने वाली चीज़ (संसार) से प्रेम करते हो।

तफ़्सीर:

8. यहाँ से बात फिर काफ़िरों की ओर फिर रही है।

सूरह का नाम : Al-Qiyamah   सूरह नंबर : 75   आयत नंबर: 20

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