कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَفَرَءَيۡتُمُ ٱلنَّارَ ٱلَّتِي تُورُونَ

फिर क्या तुमने उस आग पर विचार किया, जो तुम सुलगाते हो?

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 71

ءَأَنتُمۡ أَنشَأۡتُمۡ شَجَرَتَهَآ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنشِـُٔونَ

क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है, या हम ही पैदा करने वाले हैं?

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 72

نَحۡنُ جَعَلۡنَٰهَا تَذۡكِرَةٗ وَمَتَٰعٗا لِّلۡمُقۡوِينَ

हमने ही उसे यात्रियों के लिए एक नसीहत तथा लाभ का सामान बनाया है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 73

فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ

अतः (ऐ नबी!) आप अपने महान पालनहार के नाम की तसबीह करें।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 74

۞فَلَآ أُقۡسِمُ بِمَوَٰقِعِ ٱلنُّجُومِ

अतः नहीं! मैं सितारों के गिरने की जगहों की क़सम खाता हूँ!

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 75

وَإِنَّهُۥ لَقَسَمٞ لَّوۡ تَعۡلَمُونَ عَظِيمٌ

और निःसंदेह यह निश्चय ऐसी क़सम है कि यदि तुम जानो तो बहुत बड़ी है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 76

إِنَّهُۥ لَقُرۡءَانٞ كَرِيمٞ

निःसंदेह, यह निश्चित रूप से एक प्रतिष्ठित क़ुरआन है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 77

فِي كِتَٰبٖ مَّكۡنُونٖ

एक छिपाकर रखी हुई[7] किताब में (अंकित) है।

तफ़्सीर:

7. इससे अभिप्राय 'लौह़े मह़फ़ूज़' है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 78

لَّا يَمَسُّهُۥٓ إِلَّا ٱلۡمُطَهَّرُونَ

इसे कोई नहीं छूता सिवाय उनके जो बहुत पवित्र किए गए हैं।[8]

तफ़्सीर:

8. इससे अभिप्राय फ़रिश्तें हैं। (देखिए : सूरत अबस, आयत : 15-16)

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 79

تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

यह सारे संसार के पालनहार की ओर से उतारा गया है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 80

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