कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَفَبِهَٰذَا ٱلۡحَدِيثِ أَنتُم مُّدۡهِنُونَ

फिर क्या तुम इस वाणी की उपेक्षा करने वाले हो?

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 81

وَتَجۡعَلُونَ رِزۡقَكُمۡ أَنَّكُمۡ تُكَذِّبُونَ

तथा तुम (क़ुरआन से) अपना हिस्सा यह बनाते हो कि तुम (इसे) झुठलाते हो?

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 82

فَلَوۡلَآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلۡحُلۡقُومَ

फिर क्यों नहीं जब वह (प्राण) गले को पहुँच जाता है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 83

وَأَنتُمۡ حِينَئِذٖ تَنظُرُونَ

और तुम उस समय देख रहे होते हो।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 84

وَنَحۡنُ أَقۡرَبُ إِلَيۡهِ مِنكُمۡ وَلَٰكِن لَّا تُبۡصِرُونَ

तथा हम तुमसे अधिक उसके निकट होते हैं, परंतु तुम नहीं देखते।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 85

فَلَوۡلَآ إِن كُنتُمۡ غَيۡرَ مَدِينِينَ

तो अगर तुम (किसी के) अधीन नहीं हैं तो क्यों नहीं।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 86

تَرۡجِعُونَهَآ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ

तुम उसे वापस ले आते, यदि तुम सच्चे हो?

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 87

فَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُقَرَّبِينَ

फिर यदि वह निकटवर्तियों में से है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 88

فَرَوۡحٞ وَرَيۡحَانٞ وَجَنَّتُ نَعِيمٖ

तो उसके लिए आराम और अच्छी जीविका और नेमतों से भरी जन्नत है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 89

وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ

और यदि वह दाहिने हाथ वालों में से है।

सूरह का नाम : Al-Waqiah   सूरह नंबर : 56   आयत नंबर: 90

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