कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِنَّ لِلۡمُتَّقِينَ مَفَازًا

निःसंदेह (अल्लाह से) डरने वालों के लिए सफलता है।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 31

حَدَآئِقَ وَأَعۡنَٰبٗا

बाग़ तथा अंगूर।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 32

وَكَوَاعِبَ أَتۡرَابٗا

और समान उम्र वाली नवयुवतियाँ।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 33

وَكَأۡسٗا دِهَاقٗا

और छलकते हुए प्याले।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 34

لَّا يَسۡمَعُونَ فِيهَا لَغۡوٗا وَلَا كِذَّـٰبٗا

वे उसमें न तो कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न (एक दूसरे को) झुठलाना।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 35

جَزَآءٗ مِّن رَّبِّكَ عَطَآءً حِسَابٗا

यह तुम्हारे पालनहार की ओर से बदले में ऐसा प्रदान है जो पर्याप्त होगा।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 36

رَّبِّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا ٱلرَّحۡمَٰنِۖ لَا يَمۡلِكُونَ مِنۡهُ خِطَابٗا

जो आकाशों और धरती तथा उनके बीच की हर चीज़ का पालनहार है, अत्यंत दयावान् है। उससे बात करने का उन्हें अधिकार नहीं होगा।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 37

يَوۡمَ يَقُومُ ٱلرُّوحُ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ صَفّٗاۖ لَّا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنۡ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحۡمَٰنُ وَقَالَ صَوَابٗا

जिस दिन रूह़ (जिबरील) तथा फ़रिश्ते पंक्तियों में खड़े होंगे, उससे केवल वही बात कर सकेगा जिसे रहमान (अल्लाह) आज्ञा देगा और वह ठीक बात कहेगा।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 38

ذَٰلِكَ ٱلۡيَوۡمُ ٱلۡحَقُّۖ فَمَن شَآءَ ٱتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِۦ مَـَٔابًا

यही (वह) दिन है जो सत्य है। अतः जो चाहे अपने पालनहार की ओर लौटने की जगह (ठिकाना) बना ले।[5]

तफ़्सीर:

5. (37-39) इन आयतों में अल्लाह के न्यायालय में उपस्थिति (ह़ाज़िरी) का चित्र दिखाया गया है। और जो इस भ्रम में पड़े हैं कि उनके देवी-देवता आदि अभिस्ताव करेंगे उनको सावधान किया गया है कि उस दिन कोई बिना उस की आज्ञा के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की आज्ञा से अभिस्ताव भी करेगा तो उसी के लिए जो संसार में सत्य वचन "ला इलाहा इल्लल्लाह" को मानता हो। अल्लाह के द्रोही और सत्य के विरोधी किसी अभिस्ताव के योग्य नगीं होंगे।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 39

إِنَّآ أَنذَرۡنَٰكُمۡ عَذَابٗا قَرِيبٗا يَوۡمَ يَنظُرُ ٱلۡمَرۡءُ مَا قَدَّمَتۡ يَدَاهُ وَيَقُولُ ٱلۡكَافِرُ يَٰلَيۡتَنِي كُنتُ تُرَٰبَۢا

निःसंदेह हमने तुम्हें एक निकट ही आने वाली यातना से डरा दिया है, जिस दिन मनुष्य देख लेगा, जो कुछ उसके दोनों हाथों ने आगे भेजा है, और काफिर कहेगा : ऐ काश कि मैं मिट्टी होता![6]

तफ़्सीर:

6. (40) बात को इस चेतावनी पर समाप्त किया गया है कि जिस दिन के आने की सूचना दी जा रही है, उस का आना सत्य है, उसे दूर न समझो। अब जिसका दिल चाहे इसे मानकर अपने पालनहार की ओर मार्ग बना ले। परंतु इस चेतावनी के होते जो इनकार करेगा, उसका किया-धरा सामने आएगा, तो पछता-पछता कर यह कामना करेगा कि मैं संसार में पैदा ही न होता। उस समय इस संसार के बारे में उसका यह विचार होगा जिसके प्रेम में आज वह परलोक से अंधा बना हुआ है।

सूरह का नाम : An-Naba   सूरह नंबर : 78   आयत नंबर: 40

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