कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَٱلنَّجۡمِ إِذَا هَوَىٰ

क़सम है तारे की जब वह गिरे!

مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمۡ وَمَا غَوَىٰ

तुम्हारा साथी न तो रास्ते से भटका है और न ही गलत रास्ते पर चला है।

وَمَا يَنطِقُ عَنِ ٱلۡهَوَىٰٓ

और न वह अपनी इच्छा से बोलता है।

إِنۡ هُوَ إِلَّا وَحۡيٞ يُوحَىٰ

वह तो केवल वह़्य है, जो उतारी जाती है।

عَلَّمَهُۥ شَدِيدُ ٱلۡقُوَىٰ

उसे बहुत मज़ूबत शक्तियों वाले (फ़रिश्ते)[1] ने सिखाया है।

ذُو مِرَّةٖ فَٱسۡتَوَىٰ

जो बड़ा बलशाली है। फिर वह बुलंद हुआ (अपने असली रूप में प्रकट हुआ)।

وَهُوَ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡأَعۡلَىٰ

जबकि वह आकाश के सबसे ऊँचे क्षितिज (पूर्वी किनारे) पर था।

ثُمَّ دَنَا فَتَدَلَّىٰ

फिर वह निकट हुआ और उतर आया।

فَكَانَ قَابَ قَوۡسَيۡنِ أَوۡ أَدۡنَىٰ

फिर वह दो धनुषों की दूरी पर था, या उससे भी निकट।

فَأَوۡحَىٰٓ إِلَىٰ عَبۡدِهِۦ مَآ أَوۡحَىٰ

फिर उसने अल्लाह के बंदे[2] की ओर वह़्य की, जो भी वह़्य की।

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