कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ

तो उसने झुठला दिया और अवज्ञा की।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 21

ثُمَّ أَدۡبَرَ يَسۡعَىٰ

फिर वह पलटा (मूसा अलैहिस्सलाम के विरोध का) प्रयास करते हुए।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 22

فَحَشَرَ فَنَادَىٰ

फिर उसने (लोगों को) एकत्रित किया। फिर पुकारा।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 23

فَقَالَ أَنَا۠ رَبُّكُمُ ٱلۡأَعۡلَىٰ

तो उसने कहा : मैं तुम्हारा सबसे ऊँचा पालनहार हूँ।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 24

فَأَخَذَهُ ٱللَّهُ نَكَالَ ٱلۡأٓخِرَةِ وَٱلۡأُولَىٰٓ

तो अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की यातना में पकड़ लिया।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 25

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَعِبۡرَةٗ لِّمَن يَخۡشَىٰٓ

निःसंदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए शिक्षा है, जो डरता है।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 26

ءَأَنتُمۡ أَشَدُّ خَلۡقًا أَمِ ٱلسَّمَآءُۚ بَنَىٰهَا

क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन है या आकाश को, जिसे उसने बनाया।[3]

तफ़्सीर:

3. (16-27) यहाँ से प्रलय के होने और पुनः जीवित करने के तर्क आकाश तथा धरती की रचना से दिए जा रहे हैं कि जिस शक्ति ने यह सब बनाया और तुम्हारे जीवन रक्षा की व्यवस्था की है, प्रलय करना और फिर सब को जीवित करना उसके लिए असंभव कैसे हो सकता है? तुम स्वयं विचार करके निर्णय करो।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 27

رَفَعَ سَمۡكَهَا فَسَوَّىٰهَا

उसकी छत को ऊँचा किया, फिर उसे बराबर किया।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 28

وَأَغۡطَشَ لَيۡلَهَا وَأَخۡرَجَ ضُحَىٰهَا

और उसकी रात को अंधेरा कर दिया तथा उसके दिन के प्रकाश को प्रकट कर दिया।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 29

وَٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ ذَٰلِكَ دَحَىٰهَآ

और उसके बाद धरती को बिछाया।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 30

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