कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَخۡرَجَ مِنۡهَا مَآءَهَا وَمَرۡعَىٰهَا

उससे उसका पानी और उसका चारा निकाला।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 31

وَٱلۡجِبَالَ أَرۡسَىٰهَا

और पर्वतों को गाड़ दिया।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 32

مَتَٰعٗا لَّكُمۡ وَلِأَنۡعَٰمِكُمۡ

तुम्हारे तथा तुम्हारे पशुओं के लाभ के लिए।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 33

فَإِذَا جَآءَتِ ٱلطَّآمَّةُ ٱلۡكُبۡرَىٰ

फिर जब बड़ी आपदा (क़ियामत) आ जाएगी।[4]

तफ़्सीर:

4. (28-34) 'बड़ी आपदा' प्रलय को कहा गया है जो उसकी घोर स्थिति का चित्रण है।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 34

يَوۡمَ يَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَٰنُ مَا سَعَىٰ

जिस दिन इनसान अपने किए को याद करेगा।[5]

तफ़्सीर:

5. (35) यह प्रलय का तीसरा चरण होगा जबकि वह सामने होगी। उस दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक कर्म याद आएँगे और कर्मानुसार जिसने सत्य धर्म की शिक्षा का पालन किया होगा उसे स्वर्ग का सुख मिलेगा और जिसने सत्य धर्म और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नकारा और मनमानी धर्म और कर्म किया होगा वह नरक का स्थायी दुःख भोगेगा।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 35

وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِيمُ لِمَن يَرَىٰ

और देखने वाले के लिए जहन्नम सामने कर दी जाएगी।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 36

فَأَمَّا مَن طَغَىٰ

तो जो व्यक्ति हद से बढ़ गया।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 37

وَءَاثَرَ ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَا

और उसने सांसारिक जीवन को वरीयता दी।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 38

فَإِنَّ ٱلۡجَحِيمَ هِيَ ٱلۡمَأۡوَىٰ

तो निःसंदेह जहन्नम ही उसका ठिकाना है।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 39

وَأَمَّا مَنۡ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ وَنَهَى ٱلنَّفۡسَ عَنِ ٱلۡهَوَىٰ

लेकिन जो अपने पालनहार के समक्ष खड़ा होने से डर गया तथा अपने मन को बुरी इच्छा से रोक लिया।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 40

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