कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَإِنَّ ٱلۡجَنَّةَ هِيَ ٱلۡمَأۡوَىٰ

तो निःसंदेह जन्नत ही उसका ठिकाना है।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 41

يَسۡـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلسَّاعَةِ أَيَّانَ مُرۡسَىٰهَا

वे आपसे क़ियामत के बारे में पूछते हैं कि वह कब घटित होगी?[6]

तफ़्सीर:

6. (42) काफ़िरों का यह प्रश्न समय जानने के लिए नहीं, बल्कि हँसी उड़ाने के लिए था।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 42

فِيمَ أَنتَ مِن ذِكۡرَىٰهَآ

आपका उसके उल्लेख करने से क्या संबंध है?

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 43

إِلَىٰ رَبِّكَ مُنتَهَىٰهَآ

उस (के ज्ञान) की अंतिमता तुम्हारे पालनहार ही की ओर है।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 44

إِنَّمَآ أَنتَ مُنذِرُ مَن يَخۡشَىٰهَا

आप तो केवल उसे डराने वाले हैं, जो उससे डरता है।[7]

तफ़्सीर:

7. (45) इस आयत में कहा गया है कि (ऐ नबी!) सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप का दायित्व मात्र उस दिन से सावधान करना है। धर्म बलपूर्वक मनवाने के लिए नहीं। जो नहीं मानेगा, उसे स्वयं उस दिन समझ में आ जाएगा कि उसने क्षण भर के सांसारिक जीवन के स्वार्थ के लिए अपना स्थायी सुख खो दिया। और उस समय पछतावे का कुछ लाभ नहीं होगा।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 45

كَأَنَّهُمۡ يَوۡمَ يَرَوۡنَهَا لَمۡ يَلۡبَثُوٓاْ إِلَّا عَشِيَّةً أَوۡ ضُحَىٰهَا

जिस दिन वे उसे देखेंगे, तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) केवल एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे हैं।

सूरह का नाम : An-Naziat   सूरह नंबर : 79   आयत नंबर: 46

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