إِن تَجۡتَنِبُواْ كَبَآئِرَ مَا تُنۡهَوۡنَ عَنۡهُ نُكَفِّرۡ عَنكُمۡ سَيِّـَٔاتِكُمۡ وَنُدۡخِلۡكُم مُّدۡخَلٗا كَرِيمٗا
यदि तुम, उन बड़े पापों से बचते रहे, जिनसे तुम्हें रोका जा रहा है, तो हम तुम्हारे (छोटे) गुनाहों को क्षमा कर देंगे और तुम्हें प्रतिष्ठित स्थान में दाख़िल करेंगे।
وَلَا تَتَمَنَّوۡاْ مَا فَضَّلَ ٱللَّهُ بِهِۦ بَعۡضَكُمۡ عَلَىٰ بَعۡضٖۚ لِّلرِّجَالِ نَصِيبٞ مِّمَّا ٱكۡتَسَبُواْۖ وَلِلنِّسَآءِ نَصِيبٞ مِّمَّا ٱكۡتَسَبۡنَۚ وَسۡـَٔلُواْ ٱللَّهَ مِن فَضۡلِهِۦٓۚ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِكُلِّ شَيۡءٍ عَلِيمٗا
तथा अल्लाह ने जिस चीज़ के द्वारा तुममें से कुछ को दूसरों पर प्रतिष्ठा प्रदान की है, उसकी कामना न करो। पुरुषों के लिए उसमें से हिस्सा है, जो उन्होंने कमाया[27] और स्त्रियों के लिए उसमें से हिस्सा है, जो उन्होंने कमाया है। तथा अल्लाह से उसका अनुग्रह माँगते रहो। निःसंदेह, अल्लाह सब कुछ जानने वाला है।
وَلِكُلّٖ جَعَلۡنَا مَوَٰلِيَ مِمَّا تَرَكَ ٱلۡوَٰلِدَانِ وَٱلۡأَقۡرَبُونَۚ وَٱلَّذِينَ عَقَدَتۡ أَيۡمَٰنُكُمۡ فَـَٔاتُوهُمۡ نَصِيبَهُمۡۚ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ شَهِيدًا
और हमने तुममें से हर एक के हक़दार बना दिए हैं, जो माता-पिता और क़रीबी रिश्तेदारों की छोड़ी हुई संपत्ति के वारिस होंगे। तथा जिनसे तुमने समझौता[28] किया हो, तो उन्हें उनका हिस्सा दो। निःसंदेह अल्लाह हमेशा प्रत्येक वस्तु से सूचित है।
ٱلرِّجَالُ قَوَّـٰمُونَ عَلَى ٱلنِّسَآءِ بِمَا فَضَّلَ ٱللَّهُ بَعۡضَهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضٖ وَبِمَآ أَنفَقُواْ مِنۡ أَمۡوَٰلِهِمۡۚ فَٱلصَّـٰلِحَٰتُ قَٰنِتَٰتٌ حَٰفِظَٰتٞ لِّلۡغَيۡبِ بِمَا حَفِظَ ٱللَّهُۚ وَٱلَّـٰتِي تَخَافُونَ نُشُوزَهُنَّ فَعِظُوهُنَّ وَٱهۡجُرُوهُنَّ فِي ٱلۡمَضَاجِعِ وَٱضۡرِبُوهُنَّۖ فَإِنۡ أَطَعۡنَكُمۡ فَلَا تَبۡغُواْ عَلَيۡهِنَّ سَبِيلًاۗ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ عَلِيّٗا كَبِيرٗا
पुरुष स्त्रियों के संरक्षक[29] हैं, इस कारण कि अल्लाह ने उनमें से कुछ को कुछ पर फ़ज़ीलत दी है तथा इस कारण कि पुरुषों ने अपना धन ख़र्च किया है। अतः अच्छी औरतें आज्ञाकारी होती हैं तथा अपने पतियों की अनुपस्थिति में अल्लाह के संरक्षण में उनके अधिकारों की रक्षा करती हैं। फिर तुम्हें जिन औरतों की अवज्ञा का डर हो, उन्हें समझाओ और सोने के स्थानों में उनसे अलग रहो तथा उन्हें मारो। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानें, तो उनके विरुद्ध कोई रास्ता न ढूँढो। निःसंदेह अल्लाह सर्वोच्च, सबसे बड़ा है।
وَإِنۡ خِفۡتُمۡ شِقَاقَ بَيۡنِهِمَا فَٱبۡعَثُواْ حَكَمٗا مِّنۡ أَهۡلِهِۦ وَحَكَمٗا مِّنۡ أَهۡلِهَآ إِن يُرِيدَآ إِصۡلَٰحٗا يُوَفِّقِ ٱللَّهُ بَيۡنَهُمَآۗ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ عَلِيمًا خَبِيرٗا
और यदि तुम्हें[30] दोनों के बीच अलगाव का डर हो, तो एक मध्यस्थ पति के घराने से तथा एक मध्यस्थ पत्नी के घराने से नियुक्त करो, यदि दोनों (मध्यस्थ) सुधार करना चाहेंगे, तो अल्लाह दोनों (पति-पत्नी) के बीच मेल का रास्ता निकाल देगा। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला और हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है।
۞وَٱعۡبُدُواْ ٱللَّهَ وَلَا تُشۡرِكُواْ بِهِۦ شَيۡـٔٗاۖ وَبِٱلۡوَٰلِدَيۡنِ إِحۡسَٰنٗا وَبِذِي ٱلۡقُرۡبَىٰ وَٱلۡيَتَٰمَىٰ وَٱلۡمَسَٰكِينِ وَٱلۡجَارِ ذِي ٱلۡقُرۡبَىٰ وَٱلۡجَارِ ٱلۡجُنُبِ وَٱلصَّاحِبِ بِٱلۡجَنۢبِ وَٱبۡنِ ٱلسَّبِيلِ وَمَا مَلَكَتۡ أَيۡمَٰنُكُمۡۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُحِبُّ مَن كَانَ مُخۡتَالٗا فَخُورًا
तथा अल्लाह की इबादत करो और किसी चीज़ को उसका साझी न बनाओ तथा माता-पिता, रिश्तेदारों, अनाथों, निर्धनों, नातेदार पड़ोसी, अपरिचित पड़ोसी, साथ रहने वाले साथी, यात्री और अपने दास-दासियों के साथ अच्छा व्यवहार करो। निःसंदेह अल्लाह उससे प्रेम नहीं करता, जो इतराने वाला, डींगें मारने वाला हो।
ٱلَّذِينَ يَبۡخَلُونَ وَيَأۡمُرُونَ ٱلنَّاسَ بِٱلۡبُخۡلِ وَيَكۡتُمُونَ مَآ ءَاتَىٰهُمُ ٱللَّهُ مِن فَضۡلِهِۦۗ وَأَعۡتَدۡنَا لِلۡكَٰفِرِينَ عَذَابٗا مُّهِينٗا
जो खुद कृपणता करते हैं तथा दूसरों को भी कृपणता का आदेश देते हैं और उस (नेमत) को छिपाते हैं, जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान की है। और हमने काफ़िरों के लिए अपमानकारी अज़ाब तैयार कर रखा है।
وَٱلَّذِينَ يُنفِقُونَ أَمۡوَٰلَهُمۡ رِئَآءَ ٱلنَّاسِ وَلَا يُؤۡمِنُونَ بِٱللَّهِ وَلَا بِٱلۡيَوۡمِ ٱلۡأٓخِرِۗ وَمَن يَكُنِ ٱلشَّيۡطَٰنُ لَهُۥ قَرِينٗا فَسَآءَ قَرِينٗا
तथा जो लोग अपना धन, लोगों को दिखाने के लिए दान करते हैं और अल्लाह तथा अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखते। तथा शैतान जिसका साथी हो, तो वह बहुत बुरा साथी[31] है।
وَمَاذَا عَلَيۡهِمۡ لَوۡ ءَامَنُواْ بِٱللَّهِ وَٱلۡيَوۡمِ ٱلۡأٓخِرِ وَأَنفَقُواْ مِمَّا رَزَقَهُمُ ٱللَّهُۚ وَكَانَ ٱللَّهُ بِهِمۡ عَلِيمًا
और उनका क्या बिगड़ जाता, यदि वे अल्लाह तथा अन्तिम दिन पर ईमान रखते और अल्लाह ने उन्हें जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करते? और अल्लाह उन्हें भली-भाँति जानता है।
إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَظۡلِمُ مِثۡقَالَ ذَرَّةٖۖ وَإِن تَكُ حَسَنَةٗ يُضَٰعِفۡهَا وَيُؤۡتِ مِن لَّدُنۡهُ أَجۡرًا عَظِيمٗا
अल्लाह एक कण बराबर भी किसी पर अत्याचार नहीं करता, यदि (किसी ने) कोई नेकी (की) हो, तो उसे कई गुना बढ़ा देता है तथा अपने पास से बड़ा बदला प्रदान करता है।