कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِنَّهُۥ مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِينَ

निश्चय वह हमारे ईमान वाले बंदों में से था।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 111

وَبَشَّرۡنَٰهُ بِإِسۡحَٰقَ نَبِيّٗا مِّنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ

तथा हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, जो नबी होगा, सदाचारियों में से (होगा)।[18]

तफ़्सीर:

18. इस आयत से विदित होता है कि इबराहीम (अलैहिस्सलाम) को इस बलि के पश्चात् दूसरे पुत्र आदरणीय इसहाक़ की शुभ सूचना दी गई। इससे ज्ञात हुआ की बलि इसमाईल (अलैहिस्सलाम) की दी गई थी। और दोनों की आयु में लग-भग चौदह वर्ष का अंतर है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 112

وَبَٰرَكۡنَا عَلَيۡهِ وَعَلَىٰٓ إِسۡحَٰقَۚ وَمِن ذُرِّيَّتِهِمَا مُحۡسِنٞ وَظَالِمٞ لِّنَفۡسِهِۦ مُبِينٞ

तथा हमने उसपर और इसहाक़ पर बरकत उतारी। और उन दोनों की संतति में से कोई सदाचारी है और कोई अपने आप पर खुला अत्याचार करने वाला है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 113

وَلَقَدۡ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ

तथा निःसंदेह हमने मूसा और हारून पर उपकार किया।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 114

وَنَجَّيۡنَٰهُمَا وَقَوۡمَهُمَا مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِيمِ

और हमने उन दोनों को और उन दोनों की जाति को बहुत बड़ी विपत्ति से छुटकारा दिया।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 115

وَنَصَرۡنَٰهُمۡ فَكَانُواْ هُمُ ٱلۡغَٰلِبِينَ

तथा हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभुत्वशाली रहे।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 116

وَءَاتَيۡنَٰهُمَا ٱلۡكِتَٰبَ ٱلۡمُسۡتَبِينَ

तथा हमने उन दोनों को अत्यंत स्पष्ट पुस्तक (तौरात) प्रदान की।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 117

وَهَدَيۡنَٰهُمَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلۡمُسۡتَقِيمَ

और हमने उन दोनों को सीधे मार्ग पर चलाया।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 118

وَتَرَكۡنَا عَلَيۡهِمَا فِي ٱلۡأٓخِرِينَ

और हमने पीछे आने वालों में उन दोनों का अच्छा स्मरण छोड़ा।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 119

سَلَٰمٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ

सलाम हो मूसा और हारून पर।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 120

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