कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَلَآ إِنَّهُم مِّنۡ إِفۡكِهِمۡ لَيَقُولُونَ

सुन लो! निःसंदेह वे निश्चय अपने झूठ ही से कहते हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 151

وَلَدَ ٱللَّهُ وَإِنَّهُمۡ لَكَٰذِبُونَ

कि अल्लाह ने संतान बनाया है। और निःसंदेह वे निश्चय झूठे हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 152

أَصۡطَفَى ٱلۡبَنَاتِ عَلَى ٱلۡبَنِينَ

क्या उसने पुत्रियों को पुत्रों पर प्राथमिकता दी?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 153

مَا لَكُمۡ كَيۡفَ تَحۡكُمُونَ

तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसा फ़ैसला कर रहे हो?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 154

أَفَلَا تَذَكَّرُونَ

तो क्या तुम शिक्षा ग्रहण नहीं करते?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 155

أَمۡ لَكُمۡ سُلۡطَٰنٞ مُّبِينٞ

या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 156

فَأۡتُواْ بِكِتَٰبِكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ

तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 157

وَجَعَلُواْ بَيۡنَهُۥ وَبَيۡنَ ٱلۡجِنَّةِ نَسَبٗاۚ وَلَقَدۡ عَلِمَتِ ٱلۡجِنَّةُ إِنَّهُمۡ لَمُحۡضَرُونَ

और उन्होंने अल्लाह तथा जिन्नों के बीच रिश्तेदारी बना दी। हालाँकि निःसंदेह जिन्न जान चुके हैं कि निःसंदेह वे (मुश्रिक) अवश्य उपस्थित किए जाने वाले हैं।[28]

तफ़्सीर:

28. अर्थात यातना के लिए। तो यदि वे उसके संबंधी होते, तो उन्हें यातना क्यों देता?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 158

سُبۡحَٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ

अल्लाह उन बातों से पवित्र है, जो वे वर्णन करते हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 159

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِينَ

सिवाय अल्लाह के ख़ालिस किए हुए बंदों के।[29]

तफ़्सीर:

29. वे अल्लाह को ऐसे दुर्गुणों से युक्त नहीं करते।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 160

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