कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَإِنَّكُمۡ وَمَا تَعۡبُدُونَ

अतः निःसंदेह तुम तथा जिनकी तुम पूजा करते हो।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 161

مَآ أَنتُمۡ عَلَيۡهِ بِفَٰتِنِينَ

तुम उसके विरुद्ध (किसी को) बहकाने वाले नहीं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 162

إِلَّا مَنۡ هُوَ صَالِ ٱلۡجَحِيمِ

परंतु उसको, जो भड़कती आग में प्रवेश करने वाला है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 163

وَمَا مِنَّآ إِلَّا لَهُۥ مَقَامٞ مَّعۡلُومٞ

और हम (फ़रिश्तों) में से जो भी है उसका एक नियत स्थान है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 164

وَإِنَّا لَنَحۡنُ ٱلصَّآفُّونَ

तथा निःसंदेह हम निश्चय पंक्तिबद्ध रहने वाले हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 165

وَإِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡمُسَبِّحُونَ

तथा निःसंदेह हम निश्चय तस्बीह़ (पवित्रता गान) करने वाले हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 166

وَإِن كَانُواْ لَيَقُولُونَ

तथा निःसंदेह वे (मुश्रिक) तो कहा करते थे

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 167

لَوۡ أَنَّ عِندَنَا ذِكۡرٗا مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ

यदि हमारे पास पहले लोगों की कोई शिक्षा (किताब) होती,

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 168

لَكُنَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِينَ

तो हम अवश्य अल्लाह के ख़ालिस (चुने हुए) बंदे होते।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 169

فَكَفَرُواْ بِهِۦۖ فَسَوۡفَ يَعۡلَمُونَ

(फिर जब किताब आ गई) तो उन्होंने उसका इनकार कर दिया। अतः जल्द ही उन्हें पता चल जाएगा।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 170

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