कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَحَقَّ عَلَيۡنَا قَوۡلُ رَبِّنَآۖ إِنَّا لَذَآئِقُونَ

तो हमपर हमारे पालनहार का कथन सिद्ध हो गया। निःसंदेह हम निश्चय (यातना) चखने वाले हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 31

فَأَغۡوَيۡنَٰكُمۡ إِنَّا كُنَّا غَٰوِينَ

तो हमने तुम्हें गुमराह किया। निःसंदेह हम स्वयं गुमराह थे।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 32

فَإِنَّهُمۡ يَوۡمَئِذٖ فِي ٱلۡعَذَابِ مُشۡتَرِكُونَ

तो निश्चय ही वे उस दिन यातना में सहभागी होंगे।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 33

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفۡعَلُ بِٱلۡمُجۡرِمِينَ

निःसंदेह हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 34

إِنَّهُمۡ كَانُوٓاْ إِذَا قِيلَ لَهُمۡ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا ٱللَّهُ يَسۡتَكۡبِرُونَ

निःसंदेह वे ऐसे लोग थे कि जब उनसे कहा जाता कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य (इबादत के योग्य) नहीं, तो वे अभिमान करते थे।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 35

وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُوٓاْ ءَالِهَتِنَا لِشَاعِرٖ مَّجۡنُونِۭ

तथा कहते थे : क्या सचमुच हम अपने पूज्यों को एक दीवाने कवि के कारण छोड़ देने वाले हैं?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 36

بَلۡ جَآءَ بِٱلۡحَقِّ وَصَدَّقَ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

बल्कि वह सत्य लेकर आए हैं तथा उन्होंने सभी रसूलों की पुष्टि की है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 37

إِنَّكُمۡ لَذَآئِقُواْ ٱلۡعَذَابِ ٱلۡأَلِيمِ

निःसंदेह तुम निश्चय दुःखदायी यातना चखने वाले हो।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 38

وَمَا تُجۡزَوۡنَ إِلَّا مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ

तथा तुम्हें केवल उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 39

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِينَ

परंतु अल्लाह के ख़ालिस (विशुद्ध) किए हुए बंदे।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 40

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