कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

قَالَ قَآئِلٞ مِّنۡهُمۡ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٞ

उनमें से एक कहने वाला कहेगा : मेरा एक साथी था।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 51

يَقُولُ أَءِنَّكَ لَمِنَ ٱلۡمُصَدِّقِينَ

वह कहा करता था कि क्या सचमुच तू भी (मरणोपरांत पुनर्जीवन को) मानने वालों में से है?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 52

أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابٗا وَعِظَٰمًا أَءِنَّا لَمَدِينُونَ

क्या जब हम मर गए और हम मिट्टी तथा हड्डियाँ हो गए, तो क्या सचमुच हम अवश्य बदला दिए जाने वाले हैं?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 53

قَالَ هَلۡ أَنتُم مُّطَّلِعُونَ

वह कहेगा : क्या तुम झाँककर देखने वाले हो?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 54

فَٱطَّلَعَ فَرَءَاهُ فِي سَوَآءِ ٱلۡجَحِيمِ

फिर वह झाँकेगा, तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 55

قَالَ تَٱللَّهِ إِن كِدتَّ لَتُرۡدِينِ

कहेगा : अल्लाह की कसम! निश्चय तू क़रीब था कि मुझे नष्ट ही कर दे।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 56

وَلَوۡلَا نِعۡمَةُ رَبِّي لَكُنتُ مِنَ ٱلۡمُحۡضَرِينَ

और यदि मेरे पालनहार की अनुकंपा न होती, तो निश्चय मैं भी (जहन्नम में) उपस्थित किए गए लोगों में से होता।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 57

أَفَمَا نَحۡنُ بِمَيِّتِينَ

तो क्या (यह सही नहीं है) कि हम कभी मरने वाले नहीं हैं?

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 58

إِلَّا مَوۡتَتَنَا ٱلۡأُولَىٰ وَمَا نَحۡنُ بِمُعَذَّبِينَ

सिवाय अपनी प्रथम मौत के, और न हम कभी यातना दिए जाने वाले हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 59

إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِيمُ

निश्चय यही तो बहुत बड़ी सफलता है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 60

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