कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَٱلشَّمۡسِ وَضُحَىٰهَا

सूरज की क़सम! तथा उसके ऊपर चढ़ने के समय की क़सम!

وَٱلۡقَمَرِ إِذَا تَلَىٰهَا

तथा चाँद की (क़सम), जब वह सूरज के पीछे आए।

وَٱلنَّهَارِ إِذَا جَلَّىٰهَا

और दिन की (क़सम), जब वह उस (सूरज) को प्रकट कर दे!

وَٱلَّيۡلِ إِذَا يَغۡشَىٰهَا

और रात की (क़सम), जब वह उस (सूरज) को ढाँप ले।

وَٱلسَّمَآءِ وَمَا بَنَىٰهَا

और आकाश की तथा उसके निर्माण की (क़सम)।

وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا طَحَىٰهَا

और धरती की तथा उसे बिछाने की (क़सम!)[1]

وَنَفۡسٖ وَمَا سَوَّىٰهَا

और आत्मा की तथा उसके ठीक-ठाक बनाने की (क़सम)।

فَأَلۡهَمَهَا فُجُورَهَا وَتَقۡوَىٰهَا

फिर उसके दिल में उसकी बुराई और उसकी परहेज़गारी (की समझ) डाल दी।[2]

قَدۡ أَفۡلَحَ مَن زَكَّىٰهَا

निश्चय वह सफल हो गया, जिसने उसे पवित्र कर लिया।

وَقَدۡ خَابَ مَن دَسَّىٰهَا

तथा निश्चय वह विफल हो गया, जिसने उसे (पापों में) दबा दिया।[3]

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