कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

۞أَوۡفُواْ ٱلۡكَيۡلَ وَلَا تَكُونُواْ مِنَ ٱلۡمُخۡسِرِينَ

नाप पूरा दो और कम देने वालों में से न बनो।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 181

وَزِنُواْ بِٱلۡقِسۡطَاسِ ٱلۡمُسۡتَقِيمِ

और सीधे तराज़ू से तोलो।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 182

وَلَا تَبۡخَسُواْ ٱلنَّاسَ أَشۡيَآءَهُمۡ وَلَا تَعۡثَوۡاْ فِي ٱلۡأَرۡضِ مُفۡسِدِينَ

और लाेगों को उनका सामान कम न दो। और धरती में उपद्रव फैलाते मत फिरो।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 183

وَٱتَّقُواْ ٱلَّذِي خَلَقَكُمۡ وَٱلۡجِبِلَّةَ ٱلۡأَوَّلِينَ

और उससे डरो, जिसने तुम्हें तथा पहले लोगों को पैदा किया है।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 184

قَالُوٓاْ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلۡمُسَحَّرِينَ

उन्होंने कहा : निःसंदेह तू तो उन लोगों में से है जिनपर ताक़तवर जादू किया गया है।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 185

وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٞ مِّثۡلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلۡكَٰذِبِينَ

और तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य[30] है और निःसंदेह हम तो तुझे झूठों में से समझते हैं।

तफ़्सीर:

30. यहाँ यह बात विचारणीय है कि सभी विगत जातियों ने अपने रसूलों को उनके मानव होने के कारण नकार दिया। और जिसने स्वीकार भी किया, तो उसने कुछ युग बीतने के पश्चात् अतिशयोक्ति करके अपने रसूलों को प्रभु अथवा प्रभु का अंश बना कर उन्हीं को पूज्य बना लिया। तथा एकेश्वरवाद को कड़ा आघात पहुँचाकर मिश्रणवाद का द्वार खोल लिया और कुपथ हो गए। वर्तमान युग में भी इसी का प्रचलन है और इसका आधार अपने पूर्वजों की रीतियों को बनाया जाता है। इस्लाम इसी कुपथ का निवारण करके एकेश्वरवाद की स्थापना के लिए आया है और वास्तव में यही सत्धर्म है। ह़दीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : मूझे वैसे न बढ़ाओ जैसे ईसाइयों ने मरयम के पुत्र (ईसा) को बढ़ा दिया। निःसंदेह मैं उसका दास हूँ। अतः मुझे अल्लाह का दास और उसका रसूल कहो। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 3445)

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 186

فَأَسۡقِطۡ عَلَيۡنَا كِسَفٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

तो हम पर आसमान से कुछ टुकड़े गिरा दे, यदि तू सच्चों में से है।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 187

قَالَ رَبِّيٓ أَعۡلَمُ بِمَا تَعۡمَلُونَ

उसने कहा : मेरा पालनहार अधिक जानने वाला है जो कुछ तुम कर रहे हो।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 188

فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمۡ عَذَابُ يَوۡمِ ٱلظُّلَّةِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٍ

चुनाँचे उन्होंने उसे झुठला दिया। तो उन्हें छाया[31] के दिन की यातना ने पकड़ लिया। निश्चय वह एक बड़े दिन की यातना थी।

तफ़्सीर:

31. अर्थात उनकी यातना के दिन उनपर बादल छा गया। फिर आग बरसने लगी और धरती कंपित हो गई। फिर एक कड़ी ध्वनि ने उनकी जानें ले लीं। (इब्ने कसीर)

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 189

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 190

नूजलेटर के लिए साइन अप करें