وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 191
وَإِنَّهُۥ لَتَنزِيلُ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
तथा निःसंदेह, यह (क़ुरआन) निश्चय सारे संसारों के पालनहार का उतारा हुआ है।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 192
نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلۡأَمِينُ
इसे रूह़ुल-अमीन[32] (अत्यंत विश्वसनीय फ़रिश्ता) लेकर उतरा है।
तफ़्सीर:
32. रूह़ुल-अमीन से अभिप्राय आदरणीय फ़रिश्ता जिबरीलल (अलैहिस्सलाम) हैं, जो मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अल्लाह की ओर से वह़्य लेकर उतरते थे, जिसके कारण आप रसूलों की और उनकी जातियों की दशा से अवगत हुए। अतः यह आपके सत्य रसूल होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 193
عَلَىٰ قَلۡبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلۡمُنذِرِينَ
आपके दिल पर, ताकि आप सावधान करने वालों में से हो जाएँ।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 194
بِلِسَانٍ عَرَبِيّٖ مُّبِينٖ
स्पष्ट अरबी भाषा में।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 195
وَإِنَّهُۥ لَفِي زُبُرِ ٱلۡأَوَّلِينَ
तथा निःसंदेह यह निश्चित रूप से पहले लोगों की पुस्तकों में मौजूद है।[33]
तफ़्सीर:
33. अर्थात सभी आकाशीय ग्रंथों में अंतिम नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन तथा आपपर पुस्तक क़ुरआन के अवतरित होने की भविष्वाणी की गई है। और सब नबियों ने इसकी शुभ-सूचना दी है।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 196
أَوَلَمۡ يَكُن لَّهُمۡ ءَايَةً أَن يَعۡلَمَهُۥ عُلَمَـٰٓؤُاْ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
क्या उनके लिए यह एक निशानी न थी है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान[34] जानते हैं।
तफ़्सीर:
34. बनी इसराईल के विद्वान अब्दुल्लाह बिन सलाम आदि, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और क़ुरआन पर ईमान लाए, वे इसके सत्य होने का खुला प्रमाण हैं।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 197
وَلَوۡ نَزَّلۡنَٰهُ عَلَىٰ بَعۡضِ ٱلۡأَعۡجَمِينَ
और यदि हम इसे ग़ैर-अरब[35] लोगों में से किसी पर उतार देते।
तफ़्सीर:
35. अर्थात ऐसे व्यक्ति पर जो अरब देश और जाति के अतिरिक्त किसी अन्य जाति का हो।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 198
فَقَرَأَهُۥ عَلَيۡهِم مَّا كَانُواْ بِهِۦ مُؤۡمِنِينَ
फिर वह इसे उनके सामने पढ़ता, तो भी वे उसपर ईमान लाने वाले न होते।[36]
तफ़्सीर:
36. अर्थात अरबी भाषा में न होता, तो कहते कि यह हमारी समझ में नहीं आता। (देखिए : सूरत ह़ा, मीम, सजदा, आयत : 44)
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 199
كَذَٰلِكَ سَلَكۡنَٰهُ فِي قُلُوبِ ٱلۡمُجۡرِمِينَ
इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के हृदयों में प्रवेश कर दिया।
सूरह का नाम : Ash-Shuara सूरह नंबर : 26 आयत नंबर: 200