कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَلَمَّا تَرَـٰٓءَا ٱلۡجَمۡعَانِ قَالَ أَصۡحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدۡرَكُونَ

फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देखा, तो मूसा के साथियों ने कहा : निःसंदेह हम निश्चय ही पकड़े जाने[12) वाले हैं।

तफ़्सीर:

12. क्योंकि अब सामने सागर और पीछे फ़िरऔन की सेना थी।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 61

قَالَ كَلَّآۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهۡدِينِ

(मूसा ने) कहा : हरगिज़ नहीं! निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 62

فَأَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضۡرِب بِّعَصَاكَ ٱلۡبَحۡرَۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرۡقٖ كَٱلطَّوۡدِ ٱلۡعَظِيمِ

तो हमने मूसा की ओर वह़्य की कि अपनी लाठी को सागर पर मारो। (उसने लाठी मारी) तो वह फट गया और हर टुकड़ा बड़े पहाड़ की[13] तरह हो गया।

तफ़्सीर:

13. अर्थात बीच से मार्ग बन गया और दोनों ओर पानी पर्वत के समान खड़ा हो गया।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 63

وَأَزۡلَفۡنَا ثَمَّ ٱلۡأٓخَرِينَ

तथा वहीं हम दूसरों को निकट ले आए।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 64

وَأَنجَيۡنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجۡمَعِينَ

और हमने मूसा को और जो उसके साथ थे, सबको बचा लिया।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 65

ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا ٱلۡأٓخَرِينَ

फिर हमने दूसरों को डुबो दिया।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 66

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमान लाने वाले नहीं थे।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 67

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् हैl

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 68

وَٱتۡلُ عَلَيۡهِمۡ نَبَأَ إِبۡرَٰهِيمَ

तथा आप उन्हें इबराहीम का समाचार सुनाएँ।

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 69

إِذۡ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوۡمِهِۦ مَا تَعۡبُدُونَ

जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : तुम किसकी पूजा करते हो?

सूरह का नाम : Ash-Shuara   सूरह नंबर : 26   आयत नंबर: 70

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