कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَٱتَّبَعَتۡهُمۡ ذُرِّيَّتُهُم بِإِيمَٰنٍ أَلۡحَقۡنَا بِهِمۡ ذُرِّيَّتَهُمۡ وَمَآ أَلَتۡنَٰهُم مِّنۡ عَمَلِهِم مِّن شَيۡءٖۚ كُلُّ ٱمۡرِيِٕۭ بِمَا كَسَبَ رَهِينٞ

और जो लोग ईमान लाए और उनकी संतान ने ईमान के साथ उनका अनुसरण किया, हम उनकी संतान को उनके साथ मिला देंगे तथा उनके कर्मों में उनसे कुछ भी कम न करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले में जो उसने कमाया, गिरवी[5] रखा हुआ है।

तफ़्सीर:

5. अर्थात जो जैसा करेगा, वैसा भोगेगा।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 21

وَأَمۡدَدۡنَٰهُم بِفَٰكِهَةٖ وَلَحۡمٖ مِّمَّا يَشۡتَهُونَ

तथा हम उन्हें और अधिक फल और मांस देंगे उसमें से जो वे चाहेंगे।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 22

يَتَنَٰزَعُونَ فِيهَا كَأۡسٗا لَّا لَغۡوٞ فِيهَا وَلَا تَأۡثِيمٞ

वे उसमें एक-दूसरे से मदिरा का प्याला लेंगे, जिसमें न कोई व्यर्थ बात होगी और न गुनाह में डालना।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 23

۞وَيَطُوفُ عَلَيۡهِمۡ غِلۡمَانٞ لَّهُمۡ كَأَنَّهُمۡ لُؤۡلُؤٞ مَّكۡنُونٞ

तथा उनके आस-पास चक्कर लगाते रहेंगे उन्हीं के बच्चे, जैसे वे छुपाए हुए मोती हों।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 24

وَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضٖ يَتَسَآءَلُونَ

और वे एक-दूसरे की ओर मुतवज्जह होकर आपस में सवाल करेंगे।

तफ़्सीर:

(1) اس میں اللہ تعالٰی فرما رہا ہے۔ اے پیغمبر! تیری خواہش یقیناً یہی ہے کہ یہ سب ہدایت کا راستہ اپنا لیں لیکن قوانین الہیہ کے تحت جو گمراہ ہوگئے ہیں، ان کو ہدایت کے راستے پر نہیں چلا سکتا، یہ تو اپنے آخری انجام کو پہنچ کر ہی رہیں گے، جہاں ان کا کوئی مددگار نہیں ہوگا۔

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 25

قَالُوٓاْ إِنَّا كُنَّا قَبۡلُ فِيٓ أَهۡلِنَا مُشۡفِقِينَ

वे कहेंगे : निःसंदेह हम इससे पहले[6] अपने घरवालों में डरने वाले थे।

तफ़्सीर:

6. अर्थात संसार में अल्लाह की यातना से।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 26

فَمَنَّ ٱللَّهُ عَلَيۡنَا وَوَقَىٰنَا عَذَابَ ٱلسَّمُومِ

तो अल्लाह ने हमपर उपकार किया और हमें विषैली लू की यातना से बचा लिया।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 27

إِنَّا كُنَّا مِن قَبۡلُ نَدۡعُوهُۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡبَرُّ ٱلرَّحِيمُ

निःसंदेह हम इससे पहले[7] ही उसे पुकारा करते थे। निश्चय वही तो अति परोपकारी, अत्यंत दयावान् है।

तफ़्सीर:

7. अर्थात संसार में।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 28

فَذَكِّرۡ فَمَآ أَنتَ بِنِعۡمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنٖ وَلَا مَجۡنُونٍ

अतः आप नसीहत करें। क्योंकि अपने पालनहार के अनुग्रह से आप न तो काहिन हैं और न ही पागल।[8]

तफ़्सीर:

8. जैसाकि वे आपपर यह आरोप लगा कर हताश करना चाहते हैं।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 29

أَمۡ يَقُولُونَ شَاعِرٞ نَّتَرَبَّصُ بِهِۦ رَيۡبَ ٱلۡمَنُونِ

या वे कहते है कि यह एक कवि है जिसपर हम ज़माने की घटनाओं का इंतज़ार करते हैं?[9]

तफ़्सीर:

9. अर्थात क़ुरैश इस प्रतीक्षा में हैं कि संभवतः आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मौत आ जाए, तो हमें चैन मिल जाए।

सूरह का नाम : At-Tur   सूरह नंबर : 52   आयत नंबर: 30

नूजलेटर के लिए साइन अप करें