कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

قُلۡ إِن كَانَ لِلرَّحۡمَٰنِ وَلَدٞ فَأَنَا۠ أَوَّلُ ٱلۡعَٰبِدِينَ

(ऐ नबी!) आप कह दें : यदि रहमान की कोई संतान हो, तो मैं सबसे पहले इबादत करने वाला हूँ।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 81

سُبۡحَٰنَ رَبِّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ رَبِّ ٱلۡعَرۡشِ عَمَّا يَصِفُونَ

पवित्र है आकाशों तथा धरती का पालनहार, सिंहासन का स्वामी उन बातों से जो वे बयान करते हैं।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 82

فَذَرۡهُمۡ يَخُوضُواْ وَيَلۡعَبُواْ حَتَّىٰ يُلَٰقُواْ يَوۡمَهُمُ ٱلَّذِي يُوعَدُونَ

तो आप उन्हें छोड़ दें व्यर्थ की बहस करते रहें तथा खेलते रहें, यहाँ तक कि उनका सामना उनके उस दिन से हो जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता है।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 83

وَهُوَ ٱلَّذِي فِي ٱلسَّمَآءِ إِلَٰهٞ وَفِي ٱلۡأَرۡضِ إِلَٰهٞۚ وَهُوَ ٱلۡحَكِيمُ ٱلۡعَلِيمُ

वही है जो आकाश में पूज्य है और धरती में भी पूज्य है और वही पूर्ण ह़िकमत वाला, सब कुछ जानने वाला है।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 84

وَتَبَارَكَ ٱلَّذِي لَهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا وَعِندَهُۥ عِلۡمُ ٱلسَّاعَةِ وَإِلَيۡهِ تُرۡجَعُونَ

और बड़ा ही बरकत वाला है वह, जिसके पास आसमानों और ज़मीन की बादशाही है और उसकी भी जो उन दोनों के दरमियान है तथा उसी के पास क़ियामत का ज्ञान है और उसी की ओर तुम लौटाए जाओगे।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 85

وَلَا يَمۡلِكُ ٱلَّذِينَ يَدۡعُونَ مِن دُونِهِ ٱلشَّفَٰعَةَ إِلَّا مَن شَهِدَ بِٱلۡحَقِّ وَهُمۡ يَعۡلَمُونَ

तथा वे लोग जिन्हें ये उसके सिवा पुकारते हैं, वे सिफ़ारिश का अधिकार नहीं रखते। परंतु जिसने सत्य[22] की गवाही दी और वे (उसे) जानते हों।

तफ़्सीर:

22. सत्य से अभिप्राय धर्म-सूत्र "ला इलाहा इल्लल्लाह" है। अर्थात जो इसे जान-बूझ कर स्वीकार करते हों, तो शफ़ाअत उन्हीं के लिए होगी। उन काफ़िरों के लिए नहीं, जो मूर्तियों को पुकारते हैं। अथवा इससे अभिप्राय यह है कि सिफ़ारिश का अधिकार उनको मिलेगा जिन्होंने सत्य को स्वीकार किया है। जैसे नबियों, फ़रिश्तों तथा सदाचारियों को, न कि उन झूठे पूज्यों को जिन्हें मुश्रिक अपना सिफ़ारिशी समझते हैं।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 86

وَلَئِن سَأَلۡتَهُم مَّنۡ خَلَقَهُمۡ لَيَقُولُنَّ ٱللَّهُۖ فَأَنَّىٰ يُؤۡفَكُونَ

और निश्चय यदि आप उनसे पूछें कि उन्हें किसने पैदा किया? तो वे अवश्य कहेंगे : अल्लाह ने। तो फिर वे कहाँ बहकाए जाते हैं?[23]

तफ़्सीर:

23. अर्थात अल्लाह की उपासना से।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 87

وَقِيلِهِۦ يَٰرَبِّ إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ قَوۡمٞ لَّا يُؤۡمِنُونَ

तथा (उसके पास) रसूल के इस कथन (का भी ज्ञान है कि) : ऐ मेरे पालनहार! ये तो ऐसे लोग हैं, जो ईमान नहीं लाते।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 88

فَٱصۡفَحۡ عَنۡهُمۡ وَقُلۡ سَلَٰمٞۚ فَسَوۡفَ يَعۡلَمُونَ

अतः आप उनसे मुँह फेर लें तथा कह दें कि सलाम[24] है तुम्हें। जल्द ही उन्हें पता चल जाएगा।

तफ़्सीर:

24. अर्थात उनसे न उलझें।

सूरह का नाम : Az-Zukhruf   सूरह नंबर : 43   आयत नंबर: 89

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