कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

ثُمَّ ٱسۡتَوَىٰٓ إِلَى ٱلسَّمَآءِ وَهِيَ دُخَانٞ فَقَالَ لَهَا وَلِلۡأَرۡضِ ٱئۡتِيَا طَوۡعًا أَوۡ كَرۡهٗا قَالَتَآ أَتَيۡنَا طَآئِعِينَ

फिर उसने आकाश की ओर रुख़ किया, जबकि वह धुआँ था। तो उसने उससे और धरती से कहा : तुम दोनों आओ, स्वेच्छा से या मजबूरी से। दोनों ने कहा : हम स्वेच्छा से आ गए।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 11

فَقَضَىٰهُنَّ سَبۡعَ سَمَٰوَاتٖ فِي يَوۡمَيۡنِ وَأَوۡحَىٰ فِي كُلِّ سَمَآءٍ أَمۡرَهَاۚ وَزَيَّنَّا ٱلسَّمَآءَ ٱلدُّنۡيَا بِمَصَٰبِيحَ وَحِفۡظٗاۚ ذَٰلِكَ تَقۡدِيرُ ٱلۡعَزِيزِ ٱلۡعَلِيمِ

फिर उसने उन्हें दो दिनों में सात आकाश बना दिए और प्रत्येक आकाश में उससे संबंधित काम की वह़्य की। तथा हमने निकटतम (निचले) आकाश को दीपों (चमकदार सितारों) से सुशोभित किया, तथा (उनके द्वारा) उसको सुरक्षित कर दिया।[4] यह अत्यंत प्रभुत्वशाली, सब कुछ जानने वाले (अल्लाह) की योजना है।

तफ़्सीर:

4. अर्थात शैतानों से सुरक्षित कर दिया। (देखिए : सूरतुस-साफ़्फ़ात, आयत 7 से 10 तक)।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 12

فَإِنۡ أَعۡرَضُواْ فَقُلۡ أَنذَرۡتُكُمۡ صَٰعِقَةٗ مِّثۡلَ صَٰعِقَةِ عَادٖ وَثَمُودَ

फिर यदि वे विमुख हों, तो आप कह दें कि मैंने तुम्हें ऐसी कड़क (भयंकर यातना) से सावधान कर दिया है, जो आद और समूद की कड़क जैसी होगी।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 13

إِذۡ جَآءَتۡهُمُ ٱلرُّسُلُ مِنۢ بَيۡنِ أَيۡدِيهِمۡ وَمِنۡ خَلۡفِهِمۡ أَلَّا تَعۡبُدُوٓاْ إِلَّا ٱللَّهَۖ قَالُواْ لَوۡ شَآءَ رَبُّنَا لَأَنزَلَ مَلَـٰٓئِكَةٗ فَإِنَّا بِمَآ أُرۡسِلۡتُم بِهِۦ كَٰفِرُونَ

जब उनके पास रसूल उनके आगे से तथा उनके पीछे से आए[5] (और कहा) कि अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो। तो उन्होंने कहा : यदि हमारा पालनहार चाहता, तो किसी फ़रिश्ते को उतार देता।[6] अतः जिस बात के साथ तुम भेजे गए हो, हम उसका इनकार करते हैं।

तफ़्सीर:

5. अर्थात प्रत्येक प्रकार से समझाते रहे। 6. वे मनुष्य को रसूल मानने के लिए तैयार नहीं थे। (जिस प्रकार कुछ लोग जो रसूल को मानते हैं पर वे उन्हें मनुष्य मानने को तैयार नहीं हैं)। (देखिए : सूरतुल-अन्आम, आयत : 9-10, सूरतुल-मूमिनून, आयत : 24)

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 14

فَأَمَّا عَادٞ فَٱسۡتَكۡبَرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ بِغَيۡرِ ٱلۡحَقِّ وَقَالُواْ مَنۡ أَشَدُّ مِنَّا قُوَّةًۖ أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ أَنَّ ٱللَّهَ ٱلَّذِي خَلَقَهُمۡ هُوَ أَشَدُّ مِنۡهُمۡ قُوَّةٗۖ وَكَانُواْ بِـَٔايَٰتِنَا يَجۡحَدُونَ

फिर रहे आद समुदाय के लोग, तो उन्होंने धरती में नाहक़ अभिमान किया तथा कहने लगे : कौन शक्ति में हमसे बढ़कर है? क्या उन्होंने नहीं देखा कि अल्लाह, जिसने उनको पैदा किया, वह शक्ति में उनसे बहुत बढ़कर है?! तथा वे हमारी आयतों का इनकार करते रहे।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 15

فَأَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمۡ رِيحٗا صَرۡصَرٗا فِيٓ أَيَّامٖ نَّحِسَاتٖ لِّنُذِيقَهُمۡ عَذَابَ ٱلۡخِزۡيِ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَاۖ وَلَعَذَابُ ٱلۡأٓخِرَةِ أَخۡزَىٰۖ وَهُمۡ لَا يُنصَرُونَ

अंततः, हमने कुछ अशुभ दिनों में उनपर प्रचंड वायु भेज दी। ताकि हम उन्हें सांसारिक जीवन में अपमानकारी यातना चखाएँ और आख़िरत (परलोक) की यातना तो और अधिक अपमानकारी है। तथा उन्हें कोई सहायता नहीं दी जाएगी।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 16

وَأَمَّا ثَمُودُ فَهَدَيۡنَٰهُمۡ فَٱسۡتَحَبُّواْ ٱلۡعَمَىٰ عَلَى ٱلۡهُدَىٰ فَأَخَذَتۡهُمۡ صَٰعِقَةُ ٱلۡعَذَابِ ٱلۡهُونِ بِمَا كَانُواْ يَكۡسِبُونَ

और रहे समूद समुदाय के लोग, तो हमने उन्हें सीधा मार्ग दिखाया, परंतु उन्होंने मार्गदर्शन की अपेक्षा अंधेपन को पसंद किया। अंततः उन्हें अपमानकारी यातना की कड़क ने पकड़ लिया, उसके कारण जो वे कमा रहे थे।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 17

وَنَجَّيۡنَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَكَانُواْ يَتَّقُونَ

तथा हमने उन लोगों को बचा लिया, जो ईमान लाए और वे डरते थे।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 18

وَيَوۡمَ يُحۡشَرُ أَعۡدَآءُ ٱللَّهِ إِلَى ٱلنَّارِ فَهُمۡ يُوزَعُونَ

और जिस दिन अल्लाह के शत्रुओं को एकत्रित कर जहन्नम की ओर लाया जाएगा, तो उन्हें पंक्तिबद्ध कर दिया जाएगा।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 19

حَتَّىٰٓ إِذَا مَا جَآءُوهَا شَهِدَ عَلَيۡهِمۡ سَمۡعُهُمۡ وَأَبۡصَٰرُهُمۡ وَجُلُودُهُم بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ

यहाँ तक कि जब वे उस (जहन्नम) के पास आ जाएँगे, तो उनके कान तथा उनकी आँखें और उनकी खालें उनके विरुद्ध उन कर्मों की गवाही देंगी, जो वे किया करते थे।

सूरह का नाम : Fussilat   सूरह नंबर : 41   आयत नंबर: 20

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