कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

مِثۡلَ دَأۡبِ قَوۡمِ نُوحٖ وَعَادٖ وَثَمُودَ وَٱلَّذِينَ مِنۢ بَعۡدِهِمۡۚ وَمَا ٱللَّهُ يُرِيدُ ظُلۡمٗا لِّلۡعِبَادِ

नूह की जाति, तथा आद और समूद और उनके बाद होने वाले लोगों की स्थिति के समान। तथा अल्लाह अपने बंदों पर अत्याचार नहीं चाहता।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 31

وَيَٰقَوۡمِ إِنِّيٓ أَخَافُ عَلَيۡكُمۡ يَوۡمَ ٱلتَّنَادِ

तथा ऐ मेरी जाति के लोगो! निःसंदेह मैं तुमपर एक-दूसरे को पुकारने के दिन[9] से डरता हूँ।

तफ़्सीर:

9. अर्थात प्रलय के दिन से, जब भय के कारण एक-दूसरे को पुकारेंगे।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 32

يَوۡمَ تُوَلُّونَ مُدۡبِرِينَ مَا لَكُم مِّنَ ٱللَّهِ مِنۡ عَاصِمٖۗ وَمَن يُضۡلِلِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِنۡ هَادٖ

जिस दिन तुम पीठ फेरकर भागोगे। तुम्हें अल्लाह से कोई बचाने वाला न होगा। तथा जिसे अल्लाह राह से भटका दे, उसे राह दिखाने वाला कोई नहीं।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 33

وَلَقَدۡ جَآءَكُمۡ يُوسُفُ مِن قَبۡلُ بِٱلۡبَيِّنَٰتِ فَمَا زِلۡتُمۡ فِي شَكّٖ مِّمَّا جَآءَكُم بِهِۦۖ حَتَّىٰٓ إِذَا هَلَكَ قُلۡتُمۡ لَن يَبۡعَثَ ٱللَّهُ مِنۢ بَعۡدِهِۦ رَسُولٗاۚ كَذَٰلِكَ يُضِلُّ ٱللَّهُ مَنۡ هُوَ مُسۡرِفٞ مُّرۡتَابٌ

तथा इससे पूर्व यूसुफ़ तुम्हारे पास स्पष्ट प्रमाणों के साथ आए, तो तुम उस चीज़ के बारे में बराबर संदेह में पड़े रहे, जो वह तुम्हारे पास लेकर आए। यहाँ तक कि जब वह मर गए, तो तुमने कहा कि अल्लाह उनके पश्चात् कोई रसूल[10] हरगिज़ नहीं भेजेगा। इसी प्रकार अल्लाह उसे राह से भटका देता है, जो हद से बढ़ने वाला, संदेह करने वाला हो।

तफ़्सीर:

10. अर्थात तुम्हारा आचरण ही प्रत्येक नबी का विरोध रहा है। इसीलिए तुम समझते थे कि अब कोई रसूल नहीं आएगा।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 34

ٱلَّذِينَ يُجَٰدِلُونَ فِيٓ ءَايَٰتِ ٱللَّهِ بِغَيۡرِ سُلۡطَٰنٍ أَتَىٰهُمۡۖ كَبُرَ مَقۡتًا عِندَ ٱللَّهِ وَعِندَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْۚ كَذَٰلِكَ يَطۡبَعُ ٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ قَلۡبِ مُتَكَبِّرٖ جَبَّارٖ

जो अल्लाह की आयतों के बारे में झगड़ते हैं, बिना किसी प्रमाण के, जो उनके पास आया हो। यह अल्लाह के निकट तथा उन लोगों के निकट, जो ईमान लाए हैं, बड़े क्रोध की बात है। इसी प्रकार, अल्लाह प्रत्येक अहंकारी अत्याचारी के दिल पर मुहर लगा देता है।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 35

وَقَالَ فِرۡعَوۡنُ يَٰهَٰمَٰنُ ٱبۡنِ لِي صَرۡحٗا لَّعَلِّيٓ أَبۡلُغُ ٱلۡأَسۡبَٰبَ

तथा फ़िरऔन ने कहा : ऐ हामान! मेरे लिए एक उच्च भवन बनाओ, ताकि मैं मार्गों तक पहुँच सकूँ।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 36

أَسۡبَٰبَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ فَأَطَّلِعَ إِلَىٰٓ إِلَٰهِ مُوسَىٰ وَإِنِّي لَأَظُنُّهُۥ كَٰذِبٗاۚ وَكَذَٰلِكَ زُيِّنَ لِفِرۡعَوۡنَ سُوٓءُ عَمَلِهِۦ وَصُدَّ عَنِ ٱلسَّبِيلِۚ وَمَا كَيۡدُ فِرۡعَوۡنَ إِلَّا فِي تَبَابٖ

आकाशों के मार्गों तक। फिर मैं मूसा के पूज्य को देख लूँ। और निश्चय ही मैं उसे झूठा समझता हूँ। इसी प्रकार, फ़िरऔन के लिए उसके बुरे कर्म को सुंदर बना दिया गया और उसे सत्य मार्ग से रोक दिया गया। और फ़िरऔन की चाल विनाश होकर रही।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 37

وَقَالَ ٱلَّذِيٓ ءَامَنَ يَٰقَوۡمِ ٱتَّبِعُونِ أَهۡدِكُمۡ سَبِيلَ ٱلرَّشَادِ

तथा जो व्यक्ति ईमान लाया था, उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मेरा अनुसरण करो, मैं तुम्हे भलाई का रास्ता दिखाऊँगा।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 38

يَٰقَوۡمِ إِنَّمَا هَٰذِهِ ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا مَتَٰعٞ وَإِنَّ ٱلۡأٓخِرَةَ هِيَ دَارُ ٱلۡقَرَارِ

ऐ मेरी जाति के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो मात्र कुछ दिनों का लाभ है और निःसंदेह स्थायी निवास का स्थान तो आख़िरत ही है।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 39

مَنۡ عَمِلَ سَيِّئَةٗ فَلَا يُجۡزَىٰٓ إِلَّا مِثۡلَهَاۖ وَمَنۡ عَمِلَ صَٰلِحٗا مِّن ذَكَرٍ أَوۡ أُنثَىٰ وَهُوَ مُؤۡمِنٞ فَأُوْلَـٰٓئِكَ يَدۡخُلُونَ ٱلۡجَنَّةَ يُرۡزَقُونَ فِيهَا بِغَيۡرِ حِسَابٖ

जिसने बुरा काम किया, उसे उसी के जैसा बदला दिया जाएगा तथा जिसने अच्छा काम किया, वह नर हो अथवा नारी, जबकि वह ईमान वाला (एकेश्वरवादी) हो, तो ऐसे लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें बेहिसाब रोज़ी दी जाएगी।

सूरह का नाम : Ghafir   सूरह नंबर : 40   आयत नंबर: 40

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