कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَإِنَّ كُلّٗا لَّمَّا لَيُوَفِّيَنَّهُمۡ رَبُّكَ أَعۡمَٰلَهُمۡۚ إِنَّهُۥ بِمَا يَعۡمَلُونَ خَبِيرٞ

और निःसंदेह आपका पालनहार अवश्य प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों का पूरा बदला देगा। निश्चित रूप से वह उनके कर्मों से सूचित है।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 111

فَٱسۡتَقِمۡ كَمَآ أُمِرۡتَ وَمَن تَابَ مَعَكَ وَلَا تَطۡغَوۡاْۚ إِنَّهُۥ بِمَا تَعۡمَلُونَ بَصِيرٞ

अतः (ऐ नबी!) आप सुदृढ़ रहें जैसा आपको आदेश दिया गया है और वे लोग भी जिन्होंने आपके साथ तौबा की। तथा तुम सीमा का उल्लंघन[42] न करो, निःसंदेह वह (अल्लाह) जो कुछ तुम कर रहे हो, उसे ख़ूब देखने वाला है।

तफ़्सीर:

42. अर्थात धर्मादेश की सीमा का।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 112

وَلَا تَرۡكَنُوٓاْ إِلَى ٱلَّذِينَ ظَلَمُواْ فَتَمَسَّكُمُ ٱلنَّارُ وَمَا لَكُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ مِنۡ أَوۡلِيَآءَ ثُمَّ لَا تُنصَرُونَ

और अत्याचारियों की ओर न झुक पड़ो। अन्यथा तुम्हें भी आग पकड़ लेगी और अल्लाह के सिवा तुम्हारा कोई सहायक नहीं होगा (जो तुम्हें बचा सके)। फिर तुम्हारी सहायता नहीं की जाएगी।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 113

وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ طَرَفَيِ ٱلنَّهَارِ وَزُلَفٗا مِّنَ ٱلَّيۡلِۚ إِنَّ ٱلۡحَسَنَٰتِ يُذۡهِبۡنَ ٱلسَّيِّـَٔاتِۚ ذَٰلِكَ ذِكۡرَىٰ لِلذَّـٰكِرِينَ

तथा आप दिन के दोनों सिरों में और रात के कुछ क्षणों[43] में नमाज़ क़ायम करें। निःसंदेह नेकियाँ बुराइयों को दूर कर देती[44] हैं। यह एक शिक्षा है, शिक्षा ग्रहण करने वालों के लिए।

तफ़्सीर:

43. नमाज़ के समय के सविस्तार विवरण के लिए देखिए सूरत बनी इसराईल, आयत : 78, सूरत ताहा, आयत : 130, तथा सूरतुर्-रूम, आयत : 17-18. 44. ह़दीस में आता है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : यदि किसी के द्वार पर एक नहर जारी हो, जिसमें वह पाँच बार स्नान करता हो, तो क्या उसके शरीर पर कुछ मैल रह जाएगी? इसी प्रकार पाँचों नमाज़ों से अल्लाह पापों को मिटा देता है। (बुख़ारी : 528, मुस्लिम : 667) किंतु बड़े-बड़े पाप जैसे शिर्क, हत्या इत्यादि बिना तौबा के क्षमा नहीं किए जाते।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 114

وَٱصۡبِرۡ فَإِنَّ ٱللَّهَ لَا يُضِيعُ أَجۡرَ ٱلۡمُحۡسِنِينَ

तथा आप धैर्य से काम लें, क्योंकि अल्लाह सदाचारियों का प्रतिफल नष्ट नहीं करता।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 115

فَلَوۡلَا كَانَ مِنَ ٱلۡقُرُونِ مِن قَبۡلِكُمۡ أُوْلُواْ بَقِيَّةٖ يَنۡهَوۡنَ عَنِ ٱلۡفَسَادِ فِي ٱلۡأَرۡضِ إِلَّا قَلِيلٗا مِّمَّنۡ أَنجَيۡنَا مِنۡهُمۡۗ وَٱتَّبَعَ ٱلَّذِينَ ظَلَمُواْ مَآ أُتۡرِفُواْ فِيهِ وَكَانُواْ مُجۡرِمِينَ

फिर तुमसे पहले गुज़रे हुए समुदायों में ऐसे बचे खुचे भले-समझदार लोग क्यों न हुए, जो धरती में बिगाड़ से रोकते? सिवाय उन थोड़े-से लोगों के, जिन्हें हमने उनमें से बचा लिया। और अत्याचारी लोग तो उसी सुख-सामग्री के पीछे पड़े रहे, जिसमें वे रखे गए थे और वे तो थे ही अपराधी।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 116

وَمَا كَانَ رَبُّكَ لِيُهۡلِكَ ٱلۡقُرَىٰ بِظُلۡمٖ وَأَهۡلُهَا مُصۡلِحُونَ

और आपका पालनहार ऐसा नहीं है कि वह बस्तियों को अन्यायपूर्वक विनष्ट कर दे, जबकि उनके निवासी सुधार करने वाले हों।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 117

وَلَوۡ شَآءَ رَبُّكَ لَجَعَلَ ٱلنَّاسَ أُمَّةٗ وَٰحِدَةٗۖ وَلَا يَزَالُونَ مُخۡتَلِفِينَ

और यदि आपका पालनहार चाहता, तो सब लोगों को एक ही समुदाय बना देता और वे सदैव विभेद करते ही रहेंगे।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 118

إِلَّا مَن رَّحِمَ رَبُّكَۚ وَلِذَٰلِكَ خَلَقَهُمۡۗ وَتَمَّتۡ كَلِمَةُ رَبِّكَ لَأَمۡلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنَ ٱلۡجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ أَجۡمَعِينَ

सिवाय उसके, जिसपर आपका पालनहार दया करे और इसी के लिए उसने उन्हें पैदा किया।[45] और आपके पालनहार की बात पूरी हो गई कि मैं नरक को सब जिन्नों तथा इनसानों से अवश्य भर दूँगा।[46]

तफ़्सीर:

45. अर्थात एक ही सत्धर्म पर सबको कर देता। परंतु उसने प्रत्येक को अपने विचार की स्वतंत्रता दी है कि जिस धर्म या विचार को चाहे अपनाए ताकि प्रलय के दिन सत्धर्म को ग्रहण न करने पर उन्हें यातना का स्वाद चखाया जाए। 46. क्योंकि इस स्वतंत्रता का ग़लत प्रयोग करके अधिकतर लोग सत्धर्म को छोड़ बैठे।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 119

وَكُلّٗا نَّقُصُّ عَلَيۡكَ مِنۡ أَنۢبَآءِ ٱلرُّسُلِ مَا نُثَبِّتُ بِهِۦ فُؤَادَكَۚ وَجَآءَكَ فِي هَٰذِهِ ٱلۡحَقُّ وَمَوۡعِظَةٞ وَذِكۡرَىٰ لِلۡمُؤۡمِنِينَ

और हम रसूलों की खबरों में से आपको हर वह खबर सुनाते हैं, जिसके द्वारा हम आपके दिल को सुदृढ़ रखते हैं। और इसमें आपके पास सत्य आ गया है और ईमान वालों के लिए उपदेश और अनुस्मरण भी।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 120

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