कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِلَّا ٱلَّذِينَ صَبَرُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ أُوْلَـٰٓئِكَ لَهُم مَّغۡفِرَةٞ وَأَجۡرٞ كَبِيرٞ

परन्तु जिन लोगों ने धैर्य से काम लिया और अच्छे कर्म करते रहे, ऐस लोगों के लिए क्षमा और बड़ा प्रतिफल है।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 11

فَلَعَلَّكَ تَارِكُۢ بَعۡضَ مَا يُوحَىٰٓ إِلَيۡكَ وَضَآئِقُۢ بِهِۦ صَدۡرُكَ أَن يَقُولُواْ لَوۡلَآ أُنزِلَ عَلَيۡهِ كَنزٌ أَوۡ جَآءَ مَعَهُۥ مَلَكٌۚ إِنَّمَآ أَنتَ نَذِيرٞۚ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ وَكِيلٌ

तो (ऐ नबी!) संभवतः आप अपनी ओर की जाने वाली वह़्य के कुछ भाग (का प्रसार) छोड़ देने वाले हैं, और उसके (प्रसार के) कारण आपका सीना तंग हो रहा है कि वे कहेंगे कि इसपर कोई ख़ज़ाना क्यों नहीं उतारा गया या इसके साथ कोई फरिश्ता क्यों नहीं आया? (तो सुनिए) आप केवल सचेत करने वाले हैं और अल्लाह ही प्रत्येक चीज़ का संरक्षक है।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 12

أَمۡ يَقُولُونَ ٱفۡتَرَىٰهُۖ قُلۡ فَأۡتُواْ بِعَشۡرِ سُوَرٖ مِّثۡلِهِۦ مُفۡتَرَيَٰتٖ وَٱدۡعُواْ مَنِ ٱسۡتَطَعۡتُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ

बल्कि क्या वे कहते हैं कि उसने इस (क़ुरआन) को स्वयं गढ़ लिया है? आप कह दें कि इस जैसी गढ़ी हुई दस सूरतें ले आओ[4] और अल्लाह के सिवा, जिसे बुला सकते हो, बुला लो, यदि तुम सच्चे हो।

तफ़्सीर:

4. अल्लाह का यह चैलेंज है कि अगर तुमको शंका है कि यह क़ुरआन मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने स्वयं बना लिया है, तो तुम इस जैसी दस सूरतें ही बना कर दिखा दो। और यह चैलेंज प्रलय तक के लिए है। और कोई दस तो क्या, इस जैसी एक सूरत भी नहीं ला सकता। (देखिए : सूरत यूनुस, आयत : 38 तथा सूरतुल-बक़रह, आयत : 23)

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 13

فَإِلَّمۡ يَسۡتَجِيبُواْ لَكُمۡ فَٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّمَآ أُنزِلَ بِعِلۡمِ ٱللَّهِ وَأَن لَّآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۖ فَهَلۡ أَنتُم مُّسۡلِمُونَ

फिर यदि वे तुम्हारी मांग पूरी न करें, तो जान लो कि यह (क़ुरआन) अल्लाह के ज्ञान के साथ उतारा गया है और यह कि उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। तो क्या तुम मुसलमान होते हो?

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 14

مَن كَانَ يُرِيدُ ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَا وَزِينَتَهَا نُوَفِّ إِلَيۡهِمۡ أَعۡمَٰلَهُمۡ فِيهَا وَهُمۡ فِيهَا لَا يُبۡخَسُونَ

जो व्यक्ति सांसारिक जीवन तथा उसकी शोभा चाहता हो, हम ऐसे लोगों को उनके कर्मों का बदला इसी (दुनिया) में दे देते हैं और इसमें उनका कोई हक़ नहीं मारा जाता।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 15

أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ لَيۡسَ لَهُمۡ فِي ٱلۡأٓخِرَةِ إِلَّا ٱلنَّارُۖ وَحَبِطَ مَا صَنَعُواْ فِيهَا وَبَٰطِلٞ مَّا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ

यही वे लोग हैं, जिनके लिए आख़िरत में आग के सिवा कुछ नहीं है और उनके दुनिया में किए हुए समस्त कार्य व्यर्थ हो जाएँगे और उनका सारा किया-धरा अकारथ होकर रह जाएगा।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 16

أَفَمَن كَانَ عَلَىٰ بَيِّنَةٖ مِّن رَّبِّهِۦ وَيَتۡلُوهُ شَاهِدٞ مِّنۡهُ وَمِن قَبۡلِهِۦ كِتَٰبُ مُوسَىٰٓ إِمَامٗا وَرَحۡمَةًۚ أُوْلَـٰٓئِكَ يُؤۡمِنُونَ بِهِۦۚ وَمَن يَكۡفُرۡ بِهِۦ مِنَ ٱلۡأَحۡزَابِ فَٱلنَّارُ مَوۡعِدُهُۥۚ فَلَا تَكُ فِي مِرۡيَةٖ مِّنۡهُۚ إِنَّهُ ٱلۡحَقُّ مِن رَّبِّكَ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يُؤۡمِنُونَ

तो क्या वह व्यक्ति जो अपने पालनहार की ओर से स्पष्ट प्रमाण[5] रखता हो और उसके बाद अल्लाह की ओर से एक गवाह[6] भी आ जाए, तथा उससे पहले मूसा की पुस्तक मार्गदर्शक और दया के रूप में उपस्थित रही हो (वह गुमराही में पड़े हुए लोगों के समान हो सकता है?) ऐसे ही लोग इस (क़ुरआन) पर ईमान रखते हैं। और इन समूहों में से जो व्यक्ति भी इसका इनकार करेगा, तो उसके वादा की जगह (ठिकाना) दोज़ख है। अतः आप इसके बारे में किसी संदेह में न पड़ें। निःसंदेह यह आपके पालनहार की ओर से सत्य है। परंतु अधिकतर लोग ईमान (विश्वास) नहीं रखते।

तफ़्सीर:

5. अर्थात जो अपने अस्तित्व तथा विश्व की रचना और व्यवस्था पर विचार करके यह जानता था कि इसका स्वामी तथा शासक केवल अल्लाह ही है, उसके अतिरिक्त कोई अन्य नहीं हो सकता। 6. अर्थात नबी और क़ुरआन।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 17

وَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّنِ ٱفۡتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًاۚ أُوْلَـٰٓئِكَ يُعۡرَضُونَ عَلَىٰ رَبِّهِمۡ وَيَقُولُ ٱلۡأَشۡهَٰدُ هَـٰٓؤُلَآءِ ٱلَّذِينَ كَذَبُواْ عَلَىٰ رَبِّهِمۡۚ أَلَا لَعۡنَةُ ٱللَّهِ عَلَى ٱلظَّـٰلِمِينَ

और उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े? ऐसे लोग अपने पालनहार के समक्ष प्रस्तुत किए जाएँगे और गवाही देने वाले कहेंगे कि यही वे लोग हैं जिन्होंने अपने पालनहार पर झूठ गढ़ा था। सुन लो! अत्याचारियों पर अल्लाह की धिक्कार है।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 18

ٱلَّذِينَ يَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ وَيَبۡغُونَهَا عِوَجٗا وَهُم بِٱلۡأٓخِرَةِ هُمۡ كَٰفِرُونَ

जो अल्लाह के मार्ग से रोकते हैं और उसे टेढ़ा बनाना चाहते हैं और वही आख़िरत का इनकार करने वाले हैं।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 19

أُوْلَـٰٓئِكَ لَمۡ يَكُونُواْ مُعۡجِزِينَ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَا كَانَ لَهُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ مِنۡ أَوۡلِيَآءَۘ يُضَٰعَفُ لَهُمُ ٱلۡعَذَابُۚ مَا كَانُواْ يَسۡتَطِيعُونَ ٱلسَّمۡعَ وَمَا كَانُواْ يُبۡصِرُونَ

वे धरती में अल्लाह की यातना से बचकर भाग नहीं सकते और न उनका अल्लाह के सिवा कोई सहायक है। उनके लिए यातना दुगुनी कर दी जाएगी। वे (दुनिया में) न सुन सकते थे, न देख सकते थे।

सूरह का नाम : Hud   सूरह नंबर : 11   आयत नंबर: 20

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