وَٱمۡرَأَتُهُۥ قَآئِمَةٞ فَضَحِكَتۡ فَبَشَّرۡنَٰهَا بِإِسۡحَٰقَ وَمِن وَرَآءِ إِسۡحَٰقَ يَعۡقُوبَ
और उस (इबराहीम) की पत्नी खड़ी थी। चुनाँचे वह हँस पड़ी[25], तो हमने उसे इसह़ाक़ की और इसह़ाक़ के बाद याक़ूब की शुभ सूचना[26] दी।
तफ़्सीर:
25. कि भय की कोई बात नहीं है। 26. फ़रिश्तों द्वारा।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 71
قَالَتۡ يَٰوَيۡلَتَىٰٓ ءَأَلِدُ وَأَنَا۠ عَجُوزٞ وَهَٰذَا بَعۡلِي شَيۡخًاۖ إِنَّ هَٰذَا لَشَيۡءٌ عَجِيبٞ
वह बोली : हाय मेरा दुर्भाग्य! क्या मेरी संतान होगी, जबकि मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ और मेरा यह पति भी बूढ़ा है? वास्तव में, यह बड़े आश्चर्य की बात है।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 72
قَالُوٓاْ أَتَعۡجَبِينَ مِنۡ أَمۡرِ ٱللَّهِۖ رَحۡمَتُ ٱللَّهِ وَبَرَكَٰتُهُۥ عَلَيۡكُمۡ أَهۡلَ ٱلۡبَيۡتِۚ إِنَّهُۥ حَمِيدٞ مَّجِيدٞ
फ़रिश्तों ने कहा : क्या तू अल्लाह के आदेश पर आश्चर्य करती है? ऐ घर वालो! तुम सब पर अल्लाह की दया तथा बरकतों की वर्षा हो। निःसंदेह वह अति प्रशंसित, गौरवशाली है।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 73
فَلَمَّا ذَهَبَ عَنۡ إِبۡرَٰهِيمَ ٱلرَّوۡعُ وَجَآءَتۡهُ ٱلۡبُشۡرَىٰ يُجَٰدِلُنَا فِي قَوۡمِ لُوطٍ
फिर जब इबराहीम का भय दूर हो गया और उसे शुभ सूचना मिल गई, तो वह हमसे लूत की जाति के बारे में झगड़ने लगा।[27]
तफ़्सीर:
27. अर्थात प्रार्थना करने लगा कि लूत की जाति को और संभलने का अवसर दिया जाए। हो सकता है कि वे ईमान ले आएँ।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 74
إِنَّ إِبۡرَٰهِيمَ لَحَلِيمٌ أَوَّـٰهٞ مُّنِيبٞ
निःसंदेह इबराहीम बड़ा सहनशील, बहुत विलाप करने वाला और हर मामले में अल्लाह की ओर पलटने वाला था।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 75
يَـٰٓإِبۡرَٰهِيمُ أَعۡرِضۡ عَنۡ هَٰذَآۖ إِنَّهُۥ قَدۡ جَآءَ أَمۡرُ رَبِّكَۖ وَإِنَّهُمۡ ءَاتِيهِمۡ عَذَابٌ غَيۡرُ مَرۡدُودٖ
(फ़रिश्तों ने कहा :) ऐ इबराहीम! इस बात को रहने दो। निःसंदेह तुम्हारे पालनहार का आदेश[28] आ चुका तथा उनपर ऐसी यातना आने वाली है, जो हटाई जाने वाली नहीं।
तफ़्सीर:
28. आर्थात यातना का आदेश।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 76
وَلَمَّا جَآءَتۡ رُسُلُنَا لُوطٗا سِيٓءَ بِهِمۡ وَضَاقَ بِهِمۡ ذَرۡعٗا وَقَالَ هَٰذَا يَوۡمٌ عَصِيبٞ
और जब हमारे फ़रिश्ते लूत के पास आए, तो उनका आना उसे बुरा लगा और उनके कारण व्याकुल[29] हो गया और कहा : यह तो बड़ा कठोर दिन है।
तफ़्सीर:
29. फ़रिश्ते सुंदर किशोरों के रूप में आए थे। और लूत अलैहिस्सलाम की जाति का आचरण यह था कि वे बालमैथुन में रूचि रखती थे। इसलिए उन्होंने उनको पकड़ने की कोशिश की। इसीलिए इन अतिथियों के आने पर लूत अलैहिस्सलाम व्याकुल हो गए थे।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 77
وَجَآءَهُۥ قَوۡمُهُۥ يُهۡرَعُونَ إِلَيۡهِ وَمِن قَبۡلُ كَانُواْ يَعۡمَلُونَ ٱلسَّيِّـَٔاتِۚ قَالَ يَٰقَوۡمِ هَـٰٓؤُلَآءِ بَنَاتِي هُنَّ أَطۡهَرُ لَكُمۡۖ فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَلَا تُخۡزُونِ فِي ضَيۡفِيٓۖ أَلَيۡسَ مِنكُمۡ رَجُلٞ رَّشِيدٞ
और उसकी जाति के लोग दौड़ते हुए उसके पास आ गए और वे पहले से कुकर्म[30] किया करते थे। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! ये मेरी[31] बेटियाँ हैं, ये तुम्हारे लिए अधिक पवित्र हैं। अतः अल्लाह से डरो और मुझे मेरे अतिथियों में अपमानित न करो। क्या तुममें कोई भला आदमी नहीं?
तफ़्सीर:
30. अर्थात बालमैथुन। (तफ़्सीर क़ुर्तुबी) 31. अर्थात बस्ती की स्त्रियाँ। क्योंकि जाति का नबी उनके पिता के समान होता है। (तफ़्सीर क़ुर्तुबी)
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 78
قَالُواْ لَقَدۡ عَلِمۡتَ مَا لَنَا فِي بَنَاتِكَ مِنۡ حَقّٖ وَإِنَّكَ لَتَعۡلَمُ مَا نُرِيدُ
उन लोगों ने कहा : निश्चय तुम तो जानते हो कि हमें तुम्हारी बेटियों से कोई मतलब नहीं।[32] तथा निःसंदेह तुम भली-भाँति जानते हो कि हम क्या चाहते हैं।
तफ़्सीर:
32. अर्थात हमें स्त्रियों में कोई रूचि नहीं है।
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 79
قَالَ لَوۡ أَنَّ لِي بِكُمۡ قُوَّةً أَوۡ ءَاوِيٓ إِلَىٰ رُكۡنٖ شَدِيدٖ
लूत ने कहा : काश, मेरे पास तुमसे मुक़ाबले की शक्ति होती या मैं किसी मज़बूत सहारे की शरण लेता!
सूरह का नाम : Hud सूरह नंबर : 11 आयत नंबर: 80