कुरान उद्धरण :  Never did Allah take unto Himself any son, nor is there any god other than He. -
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱلۡفُلۡكَ تَجۡرِي فِي ٱلۡبَحۡرِ بِنِعۡمَتِ ٱللَّهِ لِيُرِيَكُم مِّنۡ ءَايَٰتِهِۦٓۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّكُلِّ صَبَّارٖ شَكُورٖ

क्या तुमने नहीं देखा कि नाव समुद्र में अल्लाह के अनुग्रह से चलती है, ताकि वह (अल्लाह) तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाए। निःसंदेह इसमें हर बड़े धैर्यवान, बड़े कृतज्ञ के लिए कई निशानियाँ हैं।

सूरह का नाम : Luqman   सूरह नंबर : 31   आयत नंबर: 31

وَإِذَا غَشِيَهُم مَّوۡجٞ كَٱلظُّلَلِ دَعَوُاْ ٱللَّهَ مُخۡلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ فَلَمَّا نَجَّىٰهُمۡ إِلَى ٱلۡبَرِّ فَمِنۡهُم مُّقۡتَصِدٞۚ وَمَا يَجۡحَدُ بِـَٔايَٰتِنَآ إِلَّا كُلُّ خَتَّارٖ كَفُورٖ

और जब उनपर छत्रों के समान कोई लहर छा जाती है, तो वे अल्लाह को इस हाल में पुकारते हैं कि धर्म को उसी के लिए विशुद्ध करने वाले होते हैं। फिर जब वह उन्हें सुरक्षित थल तक पहुँचा देता है, तो उनमें से कुछ ही मध्यम-मार्ग पर क़ायम रहने वाले होते हैं। और हमारी निशानियों का इनकार केवल वही व्यक्ति करता है, जो अत्यंत विश्वासघाती, अति कृतघ्न है।

सूरह का नाम : Luqman   सूरह नंबर : 31   आयत नंबर: 32

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱتَّقُواْ رَبَّكُمۡ وَٱخۡشَوۡاْ يَوۡمٗا لَّا يَجۡزِي وَالِدٌ عَن وَلَدِهِۦ وَلَا مَوۡلُودٌ هُوَ جَازٍ عَن وَالِدِهِۦ شَيۡـًٔاۚ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقّٞۖ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا وَلَا يَغُرَّنَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ

ऐ लोगो! अपने पालनहार से डरो तथा उस दिन से डरो, जिस दिन कोई पिता अपनी संतान के काम नहीं आएगा और न कोई पुत्र अपने पिता के कुछ काम आ सकेगा।[16] निःसंदेह अल्लाह का वादा सच्चा है। अतः सांसारिक जीवन तुम्हें कदापि धोखे में न रखे और न धोखेबाज़ (शैतान) तुम्हें अल्लाह के बारे में धोखा देने पाए।

तफ़्सीर:

16. अर्थात परलोक की यातना सांसारिक दंड के समान नहीं होगी कि कोई किसी की सहायता से दंड मुक्त हो जाए।

सूरह का नाम : Luqman   सूरह नंबर : 31   आयत नंबर: 33

إِنَّ ٱللَّهَ عِندَهُۥ عِلۡمُ ٱلسَّاعَةِ وَيُنَزِّلُ ٱلۡغَيۡثَ وَيَعۡلَمُ مَا فِي ٱلۡأَرۡحَامِۖ وَمَا تَدۡرِي نَفۡسٞ مَّاذَا تَكۡسِبُ غَدٗاۖ وَمَا تَدۡرِي نَفۡسُۢ بِأَيِّ أَرۡضٖ تَمُوتُۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌ خَبِيرُۢ

निःसंदेह अल्लाह ही के पास क़ियामत का ज्ञान[17] है और वही वर्षा उतारता है, और वह जानता है जो कुछ गर्भाशयों में है, और कोई प्राणी नहीं जानता कि वह कल क्या कमाएगा, और कोई प्राणी नहीं जानता कि वह किस धरती में मरेगा। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है।

तफ़्सीर:

17. अबू हुरैरह (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक दिन लोगों के बीच बैठे हुए थे कि एक व्यक्ति आ गया, और प्रश्न किया कि अल्लाह के रसूल! ईमान क्या है? आपने कहा : ईमान यह है कि तुम अल्लाह पर तथा उसके फ़रिश्तों, उसके सब रसूलों और उससे मिलने और फिर दोबारा जीवित किए जाने पर ईमान लाओ। उसने कहा : इस्लाम क्या है? आपने कहा : इस्लाम यह है कि केवल अल्लाह की इबादत करो और किसी वस्तु को उसका साझी न बनाओ, तथा नमाज़ की स्थापना करो और ज़कात दो, तथा रमज़ान के रोज़े रखो। उसने कहा : एहसान किया है? आपने कहा : एहसान यह है कि अल्लाह की इबादत ऐसे करो जैसे तुम उसे देख रहे हो। यदि यह न हो सके, तो यह ख़्याल रखो कि निश्चय वह तुम्हें देख रहा है। उसने कहा : प्रलय कब होगी? आप ने कहा : मैं प्रश्नकर्ता से अधिक नहीं जानता। परंतु मैं तुम्हें उसकी कुछ निशानियाँ बताऊँगा : जब स्त्री अपने स्वामिनी को जन्म देगी और जब नंगे निःवस्त्र लोग मुखिया हो जाएँगे। क़ियामत उन पाँच बातों में से एक है जो अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता। और आपने यही आयत पढ़ी। फिर वह व्यक्ति चला गया। आपने कहा : उसे बुलाओ, तो वह नहीं मिला। आपने फरमाया : यह जिबरील थे, तुम्हें तुम्हारा धर्म सिखाने आए थे। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4777)

सूरह का नाम : Luqman   सूरह नंबर : 31   आयत नंबर: 34

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