قَالَ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ هُوَ عَلَيَّ هَيِّنٞۖ وَلِنَجۡعَلَهُۥٓ ءَايَةٗ لِّلنَّاسِ وَرَحۡمَةٗ مِّنَّاۚ وَكَانَ أَمۡرٗا مَّقۡضِيّٗا
उसने कहा : ऐसा ही है, तेरे पालनहार ने कहा है कि यह मेरे लिए आसान है और ताकि हम इसे लोगों के लिए एक निशानी[7] और अपनी ओर से रहमत बनाएँ और यह एक पूर्वनियत कार्य है।
तफ़्सीर:
7. अर्थात अपने सामर्थ्य की निशानी, कि हम नर-नारी के योग के बिना भी स्त्री के गर्भ से शिशु की उत्पत्ति कर सकते हैं।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 21
۞فَحَمَلَتۡهُ فَٱنتَبَذَتۡ بِهِۦ مَكَانٗا قَصِيّٗا
फिर वह उस (लड़के) के साथ गर्भवती हो गई, तो उसे लेकर एक दूर स्थान पर अलग चली गई।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 22
فَأَجَآءَهَا ٱلۡمَخَاضُ إِلَىٰ جِذۡعِ ٱلنَّخۡلَةِ قَالَتۡ يَٰلَيۡتَنِي مِتُّ قَبۡلَ هَٰذَا وَكُنتُ نَسۡيٗا مَّنسِيّٗا
फिर प्रसव पीड़ा उसे खजूर के एक तने के पास ले लाई, कहने लगी : ऐ काश! मैं इससे पहले मर जाती और भूली-बिसरी होती।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 23
فَنَادَىٰهَا مِن تَحۡتِهَآ أَلَّا تَحۡزَنِي قَدۡ جَعَلَ رَبُّكِ تَحۡتَكِ سَرِيّٗا
तो उसने उसके नीचे से पुकारा[8] कि शोकाकुल न हो, तेरे पालनहार ने तेरे नीचे[9] एक नदी (प्रवाह) कर दी है।
तफ़्सीर:
8. अर्थात जिबरील फ़रिश्ते ने घाटी के नीचे से आवाज़ दी। दूसरा कथन है कि ईसा अलैहिस्सलाम ने नीचे से आवाज़ दी। 9. अर्थात मरयम के चरणों के नीचे।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 24
وَهُزِّيٓ إِلَيۡكِ بِجِذۡعِ ٱلنَّخۡلَةِ تُسَٰقِطۡ عَلَيۡكِ رُطَبٗا جَنِيّٗا
और खजूर के तने को अपनी ओर हिला, वह तुझपर ताज़ा पकी हुई खजूरें गिराएगा।[10]
तफ़्सीर:
10. अल्लाह ने अस्वाभाविक रूप से आदरणीय मरयम के लिए, खाने-पीने की व्यवस्था कर दी।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 25
فَكُلِي وَٱشۡرَبِي وَقَرِّي عَيۡنٗاۖ فَإِمَّا تَرَيِنَّ مِنَ ٱلۡبَشَرِ أَحَدٗا فَقُولِيٓ إِنِّي نَذَرۡتُ لِلرَّحۡمَٰنِ صَوۡمٗا فَلَنۡ أُكَلِّمَ ٱلۡيَوۡمَ إِنسِيّٗا
अतः खा और पी और आँख ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे, तो कह दे : मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। अतः आज मैं कदापि किसी मनुष्य से बात नहीं करूँगी।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 26
فَأَتَتۡ بِهِۦ قَوۡمَهَا تَحۡمِلُهُۥۖ قَالُواْ يَٰمَرۡيَمُ لَقَدۡ جِئۡتِ شَيۡـٔٗا فَرِيّٗا
फिर वह उसे उठाए हुए अपनी जाति के पास ले आई, उन्होंने कहा : ऐ मरयम! तूने बहुत बुरा काम किया है।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 27
يَـٰٓأُخۡتَ هَٰرُونَ مَا كَانَ أَبُوكِ ٱمۡرَأَ سَوۡءٖ وَمَا كَانَتۡ أُمُّكِ بَغِيّٗا
ऐ हारून की बहन! न तेरा पिता कोई बुरा व्यक्ति था और न तेरी माँ कोई व्यभिचारिणी थी।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 28
فَأَشَارَتۡ إِلَيۡهِۖ قَالُواْ كَيۡفَ نُكَلِّمُ مَن كَانَ فِي ٱلۡمَهۡدِ صَبِيّٗا
तो उसने उस (शिशु) की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा : हम उससे कैसे बात करें, जो अभी तक गोद में बच्चा है?
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 29
قَالَ إِنِّي عَبۡدُ ٱللَّهِ ءَاتَىٰنِيَ ٱلۡكِتَٰبَ وَجَعَلَنِي نَبِيّٗا
वह (शिशु) बोल पड़ा : निःसंदेह मैं अल्लाह का बंदा हूँ। उसने मुझे पुस्तक (इन्जील) प्रदान की तथा मुझे नबी बनाया है।[11]
तफ़्सीर:
11. अर्थात मुझे पुस्तक प्रदान करने और नबी बनाने का निर्णय कर दिया है।
सूरह का नाम : Maryam सूरह नंबर : 19 आयत नंबर: 30