कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

يَٰصَٰحِبَيِ ٱلسِّجۡنِ أَمَّآ أَحَدُكُمَا فَيَسۡقِي رَبَّهُۥ خَمۡرٗاۖ وَأَمَّا ٱلۡأٓخَرُ فَيُصۡلَبُ فَتَأۡكُلُ ٱلطَّيۡرُ مِن رَّأۡسِهِۦۚ قُضِيَ ٱلۡأَمۡرُ ٱلَّذِي فِيهِ تَسۡتَفۡتِيَانِ

ऐ मेरे जेल के दोनों साथियो! तुम दोनो में से एक तो अपने मालिक को शराब पिलाएगा, और रहा दूसरा तो उसे सूली पर चढ़ाया जाएगा, फिर पक्षी उसके सिर में से खाएँगे। जिसके संबंध में तुम दोनों पूछ रहे हो, उसका निर्णय किया जा चुका है।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 41

وَقَالَ لِلَّذِي ظَنَّ أَنَّهُۥ نَاجٖ مِّنۡهُمَا ٱذۡكُرۡنِي عِندَ رَبِّكَ فَأَنسَىٰهُ ٱلشَّيۡطَٰنُ ذِكۡرَ رَبِّهِۦ فَلَبِثَ فِي ٱلسِّجۡنِ بِضۡعَ سِنِينَ

और (यूसुफ़ ने) उन दोनों में से जिसके बारे में समझा था कि वह रिहा होने वाला है, उससे कहा : अपने मालिक के पास मेरा ज़िक्र करना। परंतु शैतान ने उसे अपने मालिक के पास उसकी चर्चा करने की बात भुला दी। अतः वह (यूसुफ़) कई वर्ष तक जेल ही में रहा।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 42

وَقَالَ ٱلۡمَلِكُ إِنِّيٓ أَرَىٰ سَبۡعَ بَقَرَٰتٖ سِمَانٖ يَأۡكُلُهُنَّ سَبۡعٌ عِجَافٞ وَسَبۡعَ سُنۢبُلَٰتٍ خُضۡرٖ وَأُخَرَ يَابِسَٰتٖۖ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡمَلَأُ أَفۡتُونِي فِي رُءۡيَٰيَ إِن كُنتُمۡ لِلرُّءۡيَا تَعۡبُرُونَ

और (एक दिन) राजा ने कहा : निःसंदेह मैं (सपने में) सात मोटी गायों को देखता हूँ, जिनको सात दुबली गाएँ खा रही हैं और सात हरी बालियाँ हैं और दूसरी सात सूखी हैं। ऐ प्रमुखो! यदि तुम स्वप्न का अर्थ बता सकते हो, तो मुझे मेरे स्वप्न के संबंध में बताओ?

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 43

قَالُوٓاْ أَضۡغَٰثُ أَحۡلَٰمٖۖ وَمَا نَحۡنُ بِتَأۡوِيلِ ٱلۡأَحۡلَٰمِ بِعَٰلِمِينَ

उन्होंने कहा : ये तो उलझे सपनों का मिश्रण है और हम ऐसे सपनों के अर्थ से अवगत नहीं हैं।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 44

وَقَالَ ٱلَّذِي نَجَا مِنۡهُمَا وَٱدَّكَرَ بَعۡدَ أُمَّةٍ أَنَا۠ أُنَبِّئُكُم بِتَأۡوِيلِهِۦ فَأَرۡسِلُونِ

और उन दोनों में से जो रिहा हुआ था और उसे एक अवधि के बाद याद आया, उसने कहा : मैं तुम्हें इसका अर्थ बताऊँगा। अतः मुझे भेजो।[12]

तफ़्सीर:

12. अर्थात क़ैद ख़ाने में यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के पास।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 45

يُوسُفُ أَيُّهَا ٱلصِّدِّيقُ أَفۡتِنَا فِي سَبۡعِ بَقَرَٰتٖ سِمَانٖ يَأۡكُلُهُنَّ سَبۡعٌ عِجَافٞ وَسَبۡعِ سُنۢبُلَٰتٍ خُضۡرٖ وَأُخَرَ يَابِسَٰتٖ لَّعَلِّيٓ أَرۡجِعُ إِلَى ٱلنَّاسِ لَعَلَّهُمۡ يَعۡلَمُونَ

ऐ यूसुफ़! ऐ सत्यवादी! हमें सात मोटी गायों के बारे में बताओ, जिन्हें सात दुबली गाएँ खा रही हैं और सात हरी बालियाँ हैं और सात सूखी, ताकि मैं लोगों के पास वापस जाऊँ, ताकि वे जान लें।[13]

तफ़्सीर:

13. अर्थात आपकी प्रतिष्ठा और ज्ञान को।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 46

قَالَ تَزۡرَعُونَ سَبۡعَ سِنِينَ دَأَبٗا فَمَا حَصَدتُّمۡ فَذَرُوهُ فِي سُنۢبُلِهِۦٓ إِلَّا قَلِيلٗا مِّمَّا تَأۡكُلُونَ

यूसुफ़ ने कहा : तुम सात वर्षों तक निरंतर खेती करोगे। चुनाँचे तुम जो (फ़सल) काटो, उसे उसकी बालियों ही में रहने दो सिवाय थोड़ी (मात्रा) के जो तुम खाओ।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 47

ثُمَّ يَأۡتِي مِنۢ بَعۡدِ ذَٰلِكَ سَبۡعٞ شِدَادٞ يَأۡكُلۡنَ مَا قَدَّمۡتُمۡ لَهُنَّ إِلَّا قَلِيلٗا مِّمَّا تُحۡصِنُونَ

फिर इसके बाद सात कठिन वर्ष आएँगे, जो उसे खा जाएँगे, जो तुमने उनके लिए पहले से इकट्ठा कर रखा होगा, सिवाय उस थोड़े-से हिस्से के जो तुम सुरक्षित कर लोगे।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 48

ثُمَّ يَأۡتِي مِنۢ بَعۡدِ ذَٰلِكَ عَامٞ فِيهِ يُغَاثُ ٱلنَّاسُ وَفِيهِ يَعۡصِرُونَ

फिर उसके बाद एक ऐसा वर्ष आएगा, जिसमें लोगों पर बारिश होगी तथा वे उसमें (रस) निचोड़ेंगे।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 49

وَقَالَ ٱلۡمَلِكُ ٱئۡتُونِي بِهِۦۖ فَلَمَّا جَآءَهُ ٱلرَّسُولُ قَالَ ٱرۡجِعۡ إِلَىٰ رَبِّكَ فَسۡـَٔلۡهُ مَا بَالُ ٱلنِّسۡوَةِ ٱلَّـٰتِي قَطَّعۡنَ أَيۡدِيَهُنَّۚ إِنَّ رَبِّي بِكَيۡدِهِنَّ عَلِيمٞ

और राजा ने कहा : उसे मेरे पास लाओ। फिर जब दूत यूसुफ़ के पास पहुँचा, तो उन्होंने (उससे) कहा : अपने मालिक के पास वापस जाओ[14] और उससे पूछो कि उन स्त्रियों का क्या मामला है, जिन्होंने अपने हाथ काट लिए थे? निःसंदेह मेरा पालनहार उन स्त्रियों के छल से भली-भाँति अवगत है।

तफ़्सीर:

14. यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को बंदी बनाए जाने से अधिक उसका कारण जानने की चिंता थी। वह चाहते थे कि क़ैद से निकलने से पहले यह सिद्ध होना चाहिए कि मैं निर्दोष था।

सूरह का नाम : Yusuf   सूरह नंबर : 12   आयत नंबर: 50

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