कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

۞وَعَنَتِ ٱلۡوُجُوهُ لِلۡحَيِّ ٱلۡقَيُّومِۖ وَقَدۡ خَابَ مَنۡ حَمَلَ ظُلۡمٗا

तथा सभी चेहरे उस जीवित रहने वाले, क़ायम रखने वाले लिए झुक जाएँगे और निश्चय विफल हो गया, जिसने अत्याचार का बोझ[38] उठाया।

तफ़्सीर:

38. संसार में किसी पर अत्याचार, तथा अल्लाह के साथ शिर्क किया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 111

وَمَن يَعۡمَلۡ مِنَ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ وَهُوَ مُؤۡمِنٞ فَلَا يَخَافُ ظُلۡمٗا وَلَا هَضۡمٗا

तथा जो व्यक्ति नेक काम करे और वह मोमिन हो, तो वह न किसी अत्याचार से डरेगा और न अधिकार हनन से।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 112

وَكَذَٰلِكَ أَنزَلۡنَٰهُ قُرۡءَانًا عَرَبِيّٗا وَصَرَّفۡنَا فِيهِ مِنَ ٱلۡوَعِيدِ لَعَلَّهُمۡ يَتَّقُونَ أَوۡ يُحۡدِثُ لَهُمۡ ذِكۡرٗا

और इसी प्रकार हमने इसे अरबी क़ुरआन बनाकर अवतरित किया तथा इसमें चेतावनी की बातें विभिन्न प्रकार से वर्णन कीं, शायद कि वे डर जाएँ, अथवा यह उनके लिए कोई उपदेश पैदा कर दे।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 113

فَتَعَٰلَى ٱللَّهُ ٱلۡمَلِكُ ٱلۡحَقُّۗ وَلَا تَعۡجَلۡ بِٱلۡقُرۡءَانِ مِن قَبۡلِ أَن يُقۡضَىٰٓ إِلَيۡكَ وَحۡيُهُۥۖ وَقُل رَّبِّ زِدۡنِي عِلۡمٗا

अतः सर्वोच्च है अल्लाह, जो सच्चा बादशाह है, और क़ुरआन को पढ़ने में जल्दी[39] न करें, इससे पूर्व कि आपकी ओर उसकी वह़्य पूरी की जाए तथा कहें : ऐ मेरे पालनहार! मुझे ज्ञान में बढ़ा दे।

तफ़्सीर:

39. जब जिबरील अलैहिस्सलाम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास वह़्य (प्रकाशना) लाते, तो आप इस भय से कि कुछ भूल न जाएँ, उनके साथ-साथ ही पढ़ने लगते। अल्लाह ने आपको ऐसा करने से रोक दिया। इसका वर्णन सूरतुल-क़ियामा, आयत : 75 में आ रहा है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 114

وَلَقَدۡ عَهِدۡنَآ إِلَىٰٓ ءَادَمَ مِن قَبۡلُ فَنَسِيَ وَلَمۡ نَجِدۡ لَهُۥ عَزۡمٗا

और निःसंदेह हमने इससे पहले आदम को ताकीद की, फिर वह भूल गया और हमने उसमें कोई दृढ़ संकल्प नहीं पाया ।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 115

وَإِذۡ قُلۡنَا لِلۡمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسۡجُدُواْ لِأٓدَمَ فَسَجَدُوٓاْ إِلَّآ إِبۡلِيسَ أَبَىٰ

तथा जब हमने फ़रिश्तों से कहा : आदम को सजदा करो। तो उन्होंने सजदा किया, सिवाय इबलीस के, उसने इनकार किया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 116

فَقُلۡنَا يَـٰٓـَٔادَمُ إِنَّ هَٰذَا عَدُوّٞ لَّكَ وَلِزَوۡجِكَ فَلَا يُخۡرِجَنَّكُمَا مِنَ ٱلۡجَنَّةِ فَتَشۡقَىٰٓ

तो हमने कहा : निःसंदेह यह तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का दुश्मन है, इसलिए कहीं तुम दोनों को जन्नत से न निकलवा दे कि तुम मुसीबत में पड़ जाओगे।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 117

إِنَّ لَكَ أَلَّا تَجُوعَ فِيهَا وَلَا تَعۡرَىٰ

निःसंदेह तुम्हारे लिए यह है कि तुम इसमें न भूखे होगे और न नग्न होगे।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 118

وَأَنَّكَ لَا تَظۡمَؤُاْ فِيهَا وَلَا تَضۡحَىٰ

और यह कि निश्चय ही तुम इसमें न प्यासे होगे और न धूप खाओगा।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 119

فَوَسۡوَسَ إِلَيۡهِ ٱلشَّيۡطَٰنُ قَالَ يَـٰٓـَٔادَمُ هَلۡ أَدُلُّكَ عَلَىٰ شَجَرَةِ ٱلۡخُلۡدِ وَمُلۡكٖ لَّا يَبۡلَىٰ

तो शैतान ने उसके दिल में विचार डाला, कहने लगा : ऐ आदम! क्या मैं तुम्हें अनंत जीवन का वृक्ष और ऐसा राज्य दिखाऊँ जो कभी पुराना न हो?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 120

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