कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَأَكَلَا مِنۡهَا فَبَدَتۡ لَهُمَا سَوۡءَٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخۡصِفَانِ عَلَيۡهِمَا مِن وَرَقِ ٱلۡجَنَّةِۚ وَعَصَىٰٓ ءَادَمُ رَبَّهُۥ فَغَوَىٰ

अंततः उन दोनों ने उसमें से खा लिया, तो उन दोनों के लिए उनके गुप्तांग प्रकट हो गए और वे दोनों अपने ऊपर जन्नत के पत्ते चिपकाने लगे और आदम ने अपने रब की अवज्ञा की, तो वह भटक गया।

ثُمَّ ٱجۡتَبَٰهُ رَبُّهُۥ فَتَابَ عَلَيۡهِ وَهَدَىٰ

फिर उसके रब ने उसे चुन लिया, तो उसकी तौबा क़बूल कर ली और उसे मार्गदर्शन प्रदान किया।

قَالَ ٱهۡبِطَا مِنۡهَا جَمِيعَۢاۖ بَعۡضُكُمۡ لِبَعۡضٍ عَدُوّٞۖ فَإِمَّا يَأۡتِيَنَّكُم مِّنِّي هُدٗى فَمَنِ ٱتَّبَعَ هُدَايَ فَلَا يَضِلُّ وَلَا يَشۡقَىٰ

फरमाया : तुम दोनों यहाँ से एक साथ उतर जाओ, तुम एक-दूसरे के शत्रु हो। फिर अगर कभी मेरी ओर से तुम्हारे पास कोई हिदायत आए, तो जो कोई मेरी हिदायत पर चला, तो न वह भटकेगा और न मुसीबत में पड़ेगा।

وَمَنۡ أَعۡرَضَ عَن ذِكۡرِي فَإِنَّ لَهُۥ مَعِيشَةٗ ضَنكٗا وَنَحۡشُرُهُۥ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ أَعۡمَىٰ

तथा जिसने मेरी नसीहत से मुँह फेरा, तो निःसंदेह उसके लिए तंग[40] जीवन है और हम उसे क़ियामत के दिन अंधा करके उठाएँगे।

قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرۡتَنِيٓ أَعۡمَىٰ وَقَدۡ كُنتُ بَصِيرٗا

वह कहेगा : ऐ मेरे पालनहार! तूने मुझे अंधा करके क्यों उठाया? हालाँकि, मैं तो देखने वाला था।

قَالَ كَذَٰلِكَ أَتَتۡكَ ءَايَٰتُنَا فَنَسِيتَهَاۖ وَكَذَٰلِكَ ٱلۡيَوۡمَ تُنسَىٰ

(अल्लाह) फरमाएगा : इसी प्रकार तेरे पास हमारी आयतें आईं, तो तू उन्हें भूल गया और इसी प्रकार आज तू भुलाया जाएगा।

وَكَذَٰلِكَ نَجۡزِي مَنۡ أَسۡرَفَ وَلَمۡ يُؤۡمِنۢ بِـَٔايَٰتِ رَبِّهِۦۚ وَلَعَذَابُ ٱلۡأٓخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبۡقَىٰٓ

तथा इसी प्रकार हम उस व्यक्ति को बदला देते हैं, जो हद से बढ़ जाए और अपने पालनहार की आयतों पर ईमान न लाए और निश्चय आख़िरत की यातना अधिक कठोर और अधिक स्थायी है।

أَفَلَمۡ يَهۡدِ لَهُمۡ كَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّنَ ٱلۡقُرُونِ يَمۡشُونَ فِي مَسَٰكِنِهِمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّأُوْلِي ٱلنُّهَىٰ

फिर क्या इस बात ने उन्हें मार्गदर्शन नहीं दिया कि हमने उनसे पहले कितने ही समुदायों को विनष्ट कर दिया, जिनके घरों में वे चलते-फिरते हैं। निःसंदेह इसमें बुद्धियों वालों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं।

وَلَوۡلَا كَلِمَةٞ سَبَقَتۡ مِن رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامٗا وَأَجَلٞ مُّسَمّٗى

और यदि वह बात न होती जो तुम्हारे पालनहार की ओर से पहले निश्चित हो चुकी और एक नियत समय न होता, तो वही (अगले लोगों का अज़ाब) आवश्यक हो जाता।[41]

فَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ قَبۡلَ طُلُوعِ ٱلشَّمۡسِ وَقَبۡلَ غُرُوبِهَاۖ وَمِنۡ ءَانَآيِٕ ٱلَّيۡلِ فَسَبِّحۡ وَأَطۡرَافَ ٱلنَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرۡضَىٰ

अतः जो कुछ वे कहते हैं, उसपर सब्र करें तथा सूर्य उगने से पहले[42] और उसके डूबने से पहले[43] अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें, और रात की कुछ घड़ियों[44] में भी पवित्रता बयान करें, और दिन के किनारों[45] में, ताकि आप प्रसन्न हो जाएँ।

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