कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَلَا تَمُدَّنَّ عَيۡنَيۡكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعۡنَا بِهِۦٓ أَزۡوَٰجٗا مِّنۡهُمۡ زَهۡرَةَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا لِنَفۡتِنَهُمۡ فِيهِۚ وَرِزۡقُ رَبِّكَ خَيۡرٞ وَأَبۡقَىٰ

और अपनी आँखों को उन चीज़ों की ओर कदापि न उठाएँ जो हमने उनके[46] विभिन्न प्रकार के लोगों को सांसारिक जीवन के लिए आभूषण के रूप में उपयोग करने के लिए दी हैं, ताकि हम उसमें उनकी परीक्षा लें, और आपके पालनहार का दिया[47] हुआ सबसे अच्छा और सबसे अधिक स्थायी है।

तफ़्सीर:

46. अर्थात मिश्रणवादियों के। 47. अर्थात प्रलोक का प्रतिफल।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 131

وَأۡمُرۡ أَهۡلَكَ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱصۡطَبِرۡ عَلَيۡهَاۖ لَا نَسۡـَٔلُكَ رِزۡقٗاۖ نَّحۡنُ نَرۡزُقُكَۗ وَٱلۡعَٰقِبَةُ لِلتَّقۡوَىٰ

और आप अपने घरवालों को नमाज़ का आदेश दें और स्वयं भी उसपर स्थित रहें, हम आपसे कोई जीविका नहीं माँगते, हम ही आपको जीविका प्रदान करते हैं और अच्छा परिणाम परहेज़गारी का है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 132

وَقَالُواْ لَوۡلَا يَأۡتِينَا بِـَٔايَةٖ مِّن رَّبِّهِۦٓۚ أَوَلَمۡ تَأۡتِهِم بَيِّنَةُ مَا فِي ٱلصُّحُفِ ٱلۡأُولَىٰ

तथा उन्होंने कहा : यह हमारे पास अपने रब की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं लाता? और क्या उनके पास वह स्पष्ट प्रमाण नहीं आया जो पहली किताबों में है?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 133

وَلَوۡ أَنَّآ أَهۡلَكۡنَٰهُم بِعَذَابٖ مِّن قَبۡلِهِۦ لَقَالُواْ رَبَّنَا لَوۡلَآ أَرۡسَلۡتَ إِلَيۡنَا رَسُولٗا فَنَتَّبِعَ ءَايَٰتِكَ مِن قَبۡلِ أَن نَّذِلَّ وَنَخۡزَىٰ

और यदि हम वास्तव में उन्हें इससे पहले किसी अज़ाब से विनष्ट कर देते, तो ये लोग अवश्य कहते : ऐ हमारे रब! तूने हमारी ओर कोई रसूल क्यों नहीं भेजा कि हम तेरी आयतों की पैरवी करते, इससे[48] पहले कि हम ज़लील और रुसवा हों?

तफ़्सीर:

48. अर्थात नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और क़ुरआन के आने से पहले।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 134

قُلۡ كُلّٞ مُّتَرَبِّصٞ فَتَرَبَّصُواْۖ فَسَتَعۡلَمُونَ مَنۡ أَصۡحَٰبُ ٱلصِّرَٰطِ ٱلسَّوِيِّ وَمَنِ ٱهۡتَدَىٰ

आप कह दें : हर एक प्रतीक्षारत है। अतः तुम (भी) प्रतीक्षा करो। फिर शीघ्र ही तुम जान लोगे कि सीधे मार्ग वाले कौन हैं और कौन है जिसे मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 135

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