कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَلَمَّآ أَتَىٰهَا نُودِيَ يَٰمُوسَىٰٓ

फिर जब वह उसके पास आया तो उसे आवाज़ दी गई : ऐ मूसा!

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 11

إِنِّيٓ أَنَا۠ رَبُّكَ فَٱخۡلَعۡ نَعۡلَيۡكَ إِنَّكَ بِٱلۡوَادِ ٱلۡمُقَدَّسِ طُوٗى

निःसंदेह मैं ही तेरा पालनहार हूँ, अतः अपने दोनों जूते उतार दे, निःसंदेह तू पवित्र वादी “तुवा” में है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 12

وَأَنَا ٱخۡتَرۡتُكَ فَٱسۡتَمِعۡ لِمَا يُوحَىٰٓ

और मैंने तुझे चुन[5] लिया है। अतः ध्यान से सुन, जो वह़्य की जा रही है।

तफ़्सीर:

5. अर्थात नबी बना दिया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 13

إِنَّنِيٓ أَنَا ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّآ أَنَا۠ فَٱعۡبُدۡنِي وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِذِكۡرِيٓ

निःसंदेह मैं ही अल्लाह हूँ, मेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तो मेरी ही इबादत कर तथा मेरे स्मरण (याद) के लिए नमाज़ स्थापित कर।[6]

तफ़्सीर:

6. इबादत में नमाज़ सम्मिलित है, फिर भी उसका महत्त्व दिखाने के लिए उसका विशेष आदेश दिया गया है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 14

إِنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِيَةٌ أَكَادُ أُخۡفِيهَا لِتُجۡزَىٰ كُلُّ نَفۡسِۭ بِمَا تَسۡعَىٰ

निश्चय क़ियामत आने वाली है, मैं क़रीब हूँ कि उसे छिपाकर रखूँ। ताकि प्रत्येक प्राणी को उसका बदला दिया जाए, जो वह प्रयास करता है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 15

فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنۡهَا مَن لَّا يُؤۡمِنُ بِهَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَتَرۡدَىٰ

अतः तुझे उससे वह व्यक्ति कहीं रोक न दे, जो उसपर ईमान (विश्वास) नहीं रखता और अपनी इच्छा के पालन में लगा है, अन्यथा तेरा नाश हो जाएगा।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 16

وَمَا تِلۡكَ بِيَمِينِكَ يَٰمُوسَىٰ

और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 17

قَالَ هِيَ عَصَايَ أَتَوَكَّؤُاْ عَلَيۡهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَىٰ غَنَمِي وَلِيَ فِيهَا مَـَٔارِبُ أُخۡرَىٰ

उसने कहा : यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और मेरे लिए इसमें और भी कई ज़रूरतें हैं।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 18

قَالَ أَلۡقِهَا يَٰمُوسَىٰ

फरमाया : इसे फेंक दे, ऐ मूसा!

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 19

فَأَلۡقَىٰهَا فَإِذَا هِيَ حَيَّةٞ تَسۡعَىٰ

तो उसने उसे फेंक दिया और सहसा वह एक साँप था, जो दोड़ रहा था।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 20

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