कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

ٱشۡدُدۡ بِهِۦٓ أَزۡرِي

उसके साथ मेरी पीठ मज़बूत़ कर दे।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 31

وَأَشۡرِكۡهُ فِيٓ أَمۡرِي

और उसे मेरे काम में शरीक कर दे।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 32

كَيۡ نُسَبِّحَكَ كَثِيرٗا

ताकि हम तेरी बहुत ज़्यादा पवित्रता बयान करें।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 33

وَنَذۡكُرَكَ كَثِيرًا

तथा हम तुझे बहुत ज़्यादा याद करें।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 34

إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِيرٗا

निःसंदेह तू हमेशा हमारी स्थिति को भली प्रकार देखने वाला है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 35

قَالَ قَدۡ أُوتِيتَ سُؤۡلَكَ يَٰمُوسَىٰ

फरमाया : निःसंदेह तुझे दिया गया जो तूने माँगा, ऐ मूसा!

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 36

وَلَقَدۡ مَنَنَّا عَلَيۡكَ مَرَّةً أُخۡرَىٰٓ

और निश्चय ही हमने तुझपर एक और बार भी उपकार किया।[7]

तफ़्सीर:

7. यह उस समय की बात है जब मूसा का जन्म हुआ। उस समय फ़िरऔन का आदेश था कि बनी इसराईल में जो भी शिशु जन्म ले, उसे वध कर दिया जाए।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 37

إِذۡ أَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰٓ أُمِّكَ مَا يُوحَىٰٓ

जब हमने तेरी माँ की ओर वह़्य की, जो वह़्य की जाती थी।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 38

أَنِ ٱقۡذِفِيهِ فِي ٱلتَّابُوتِ فَٱقۡذِفِيهِ فِي ٱلۡيَمِّ فَلۡيُلۡقِهِ ٱلۡيَمُّ بِٱلسَّاحِلِ يَأۡخُذۡهُ عَدُوّٞ لِّي وَعَدُوّٞ لَّهُۥۚ وَأَلۡقَيۡتُ عَلَيۡكَ مَحَبَّةٗ مِّنِّي وَلِتُصۡنَعَ عَلَىٰ عَيۡنِيٓ

यह कि तू इसे ताबूत (संदूक़) में रख दे, फिर उसे नदी में डाल दे, फिर नदी उसे किनारे पर डाल दे, उसे मेरा एक शत्रु और उसका शत्रु उठा लेगा[8] और मैंने तुझपर अपनी ओर से एक प्रेम[9] डाल दिया और ताकि तेरा पालन-पोषण मेरी आँखों के सामने किया जाए।

तफ़्सीर:

8. इस से तात्पर्य मिस्र का राजा फ़िरऔन है। 9. अर्थात तुम्हें सबका प्रिय अथवा फ़िरऔन का भी प्रिय बना दिया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 39

إِذۡ تَمۡشِيٓ أُخۡتُكَ فَتَقُولُ هَلۡ أَدُلُّكُمۡ عَلَىٰ مَن يَكۡفُلُهُۥۖ فَرَجَعۡنَٰكَ إِلَىٰٓ أُمِّكَ كَيۡ تَقَرَّ عَيۡنُهَا وَلَا تَحۡزَنَۚ وَقَتَلۡتَ نَفۡسٗا فَنَجَّيۡنَٰكَ مِنَ ٱلۡغَمِّ وَفَتَنَّـٰكَ فُتُونٗاۚ فَلَبِثۡتَ سِنِينَ فِيٓ أَهۡلِ مَدۡيَنَ ثُمَّ جِئۡتَ عَلَىٰ قَدَرٖ يَٰمُوسَىٰ

जब तेरी बहन[10] चल रही थी और कह रही थी : क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ, जो इसका पालन-पोषण करे? फिर हमने तुझे तेरी माँ के पास लौटा दिया, ताकि उसकी आँख ठंडी हो और वह शोक न करे। तथा तूने एक आदमी को मार डाला[11], तो हमने तुझे दुःखसे बचा लिया और हमने तुम्हारी अच्छी तरह से परीक्षा ली। फिर तू कई वर्ष मदयन वालों के बीच ठहरा रहा, फिर तू एक निश्चित अनुमान पर आया, ऐ मूसा!

तफ़्सीर:

10. अर्थात संदूक़ के पीछे नदी के किनारे। 11. अर्थात एक फ़िरऔनी को मारा और वह मर गया, तो तुम मदयन चले गए, इसका वर्णन सूरतुल-क़स़स़ में आएगा।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 40

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