कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

قَالَ فَمَا بَالُ ٱلۡقُرُونِ ٱلۡأُولَىٰ

उसने कहा : अच्छा, तो पहले ज़माने के लोगों का क्या हाल है?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 51

قَالَ عِلۡمُهَا عِندَ رَبِّي فِي كِتَٰبٖۖ لَّا يَضِلُّ رَبِّي وَلَا يَنسَى

(मूसा ने) कहा : उनका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में है, मेरा रब न भटकता है और न भूलता है।[13]

तफ़्सीर:

13. अर्थात उन्होंने जैसा किया होगा, उनके आगे उनका परिणाम आएगा।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 52

ٱلَّذِي جَعَلَ لَكُمُ ٱلۡأَرۡضَ مَهۡدٗا وَسَلَكَ لَكُمۡ فِيهَا سُبُلٗا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦٓ أَزۡوَٰجٗا مِّن نَّبَاتٖ شَتَّىٰ

वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को बिछौना बनाया और उसमें तुम्हारे लिए रास्ते बनाए और आसमान से कुछ पानी उतारा, फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न पौधों की कई क़िस्में निकालीं।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 53

كُلُواْ وَٱرۡعَوۡاْ أَنۡعَٰمَكُمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّأُوْلِي ٱلنُّهَىٰ

खाओ और अपने चौपायों को चराओ, निःसंदेह इसमें बुद्धि वाले लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 54

۞مِنۡهَا خَلَقۡنَٰكُمۡ وَفِيهَا نُعِيدُكُمۡ وَمِنۡهَا نُخۡرِجُكُمۡ تَارَةً أُخۡرَىٰ

इसी से हमने तुम्हें पैदा किया और इसी में हम तुम्हें लौटाएँगे और इसी से हम तुम्हें एक बार फिर[14] निकालेंगे।

तफ़्सीर:

14. अर्थात प्रलय के दिन पुनः जीवित निकालेंगे।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 55

وَلَقَدۡ أَرَيۡنَٰهُ ءَايَٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَىٰ

और निःसंदेह हमने उसे अपनी सब निशानियाँ दिखाईं, तो उसने झुठलाया और इनकार किया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 56

قَالَ أَجِئۡتَنَا لِتُخۡرِجَنَا مِنۡ أَرۡضِنَا بِسِحۡرِكَ يَٰمُوسَىٰ

उसने कहा : क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि हमें हमारी धरती से अपने जादू के द्वारा निकाल दे, ऐ मूसा!?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 57

فَلَنَأۡتِيَنَّكَ بِسِحۡرٖ مِّثۡلِهِۦ فَٱجۡعَلۡ بَيۡنَنَا وَبَيۡنَكَ مَوۡعِدٗا لَّا نُخۡلِفُهُۥ نَحۡنُ وَلَآ أَنتَ مَكَانٗا سُوٗى

तो हम भी अवश्य तेरे पास ऐसा ही जादू लाएँगे, अतः तू हमारे और अपने बीच वादे का एक समय निर्धारित कर दे, कि न हम उसके ख़िलाफ़ हों और न तू, ऐसी जगह जो बराबर हो।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 58

قَالَ مَوۡعِدُكُمۡ يَوۡمُ ٱلزِّينَةِ وَأَن يُحۡشَرَ ٱلنَّاسُ ضُحٗى

(मूसा ने) कहा : तुम्हारे वादे का समय उत्सव का दिन[15] है तथा यह कि लोग दिन चढ़े इकट्ठे हो जाएँ।

तफ़्सीर:

15. इससे अभिप्राय उनका कोई वार्षिक उत्सव (मेले) का दिन था।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 59

فَتَوَلَّىٰ فِرۡعَوۡنُ فَجَمَعَ كَيۡدَهُۥ ثُمَّ أَتَىٰ

फिर फ़िरऔन वापस लौटा,[16] उसने अपने सारे हथकंडे जुटाए, फिर आ गया।

तफ़्सीर:

16. मूसा के सत्य को न मान कर, मुक़ाबले की तैयारी में व्यस्त हो गया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 60

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