कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِي عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَۖ فَلَأُقَطِّعَنَّ أَيۡدِيَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَٰفٖ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ فِي جُذُوعِ ٱلنَّخۡلِ وَلَتَعۡلَمُنَّ أَيُّنَآ أَشَدُّ عَذَابٗا وَأَبۡقَىٰ

उसने कहा : तुम उसपर ईमान ले आए इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ? निश्चय ही यह तुम्हारा बड़ा है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। इसलिए निश्चित रूप से मैं तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पैर विपरीत दिशा[19] से बुरी तरह काट दूँगा, और अवश्य ही तुम्हें खजूर के तनों पर सूली दूँगा तथा निश्चय ही तुम अवश्य जान लोगे कि हममें से कौन अधिक कठोर एवं स्थायी यातना देने वाला है।

तफ़्सीर:

19. अर्थात दाहिना हाथ और बायाँ पैर अथवा बायाँ हाथ और दाहिना पैर।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 71

قَالُواْ لَن نُّؤۡثِرَكَ عَلَىٰ مَا جَآءَنَا مِنَ ٱلۡبَيِّنَٰتِ وَٱلَّذِي فَطَرَنَاۖ فَٱقۡضِ مَآ أَنتَ قَاضٍۖ إِنَّمَا تَقۡضِي هَٰذِهِ ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَآ

उन्होंने कहा : हम तुझे कदापि तरजीह नहीं देंगे उन स्पष्ट तर्कों पर जो हमारे पास आए हैं और उसपर, जिसने हमें पैदा किया है। अतः फैसला कर, जो तू फ़ैसला करने वाला है। तू केवल इस दुनिया के जीवन का फ़ैसला कर सकता है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 72

إِنَّآ ءَامَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغۡفِرَ لَنَا خَطَٰيَٰنَا وَمَآ أَكۡرَهۡتَنَا عَلَيۡهِ مِنَ ٱلسِّحۡرِۗ وَٱللَّهُ خَيۡرٞ وَأَبۡقَىٰٓ

निःसंदेह हम अपने पालनहार पर ईमान लाए हैं, ताकि वह हमारे लिए हमारे पापों और जादू के उन कामों को क्षमा कर दे, जो तूने हमें करने के लिए मजबूर किया है और अल्लाह सर्वोत्तम और सदा रहने वाला है।[20]

तफ़्सीर:

20. और तेरा राज्य तथा जीवन तो सामयिक है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 73

إِنَّهُۥ مَن يَأۡتِ رَبَّهُۥ مُجۡرِمٗا فَإِنَّ لَهُۥ جَهَنَّمَ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحۡيَىٰ

निःसंदेह तथ्य यह है कि जो अपने पालनहार के पास अपराधी बनकर आएगा, तो निश्चित रूप से उसी के लिए नरक है, जिसमें न वह मरेगा और न जिएगा।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 74

وَمَن يَأۡتِهِۦ مُؤۡمِنٗا قَدۡ عَمِلَ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ فَأُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمُ ٱلدَّرَجَٰتُ ٱلۡعُلَىٰ

तथा जो उसके पास मोमिन बनकर आएगा कि उसने अच्छे कर्म किए होंगे, तो यही लोग हैं जिनके लिए सर्वोच्च पद हैं।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 75

جَنَّـٰتُ عَدۡنٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَاۚ وَذَٰلِكَ جَزَآءُ مَن تَزَكَّىٰ

स्थायी निवास के बाग़, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं, उनमें हमेशा के लिए रहने वाले हैं और यह उसका प्रतिफल है, जो पवित्र हुआ।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 76

وَلَقَدۡ أَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِي فَٱضۡرِبۡ لَهُمۡ طَرِيقٗا فِي ٱلۡبَحۡرِ يَبَسٗا لَّا تَخَٰفُ دَرَكٗا وَلَا تَخۡشَىٰ

और निश्चय ही हमने मूसा की ओर वह़्य की कि मेरे बंदो को रातों-रात ले जा, फिर उनके लिए समुद्र में एक सूखा मार्ग बना,[21] न तू पकड़े जाने से भय खाएगा और न डरेगा।

तफ़्सीर:

21. इसका सविस्तार वर्णन सूरतुश शुअरा : 26 में आ रहा है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 77

فَأَتۡبَعَهُمۡ فِرۡعَوۡنُ بِجُنُودِهِۦ فَغَشِيَهُم مِّنَ ٱلۡيَمِّ مَا غَشِيَهُمۡ

फिर फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ उनका पीछा किया, तो उन्हें समुद्र से उस चीज़ ने ढाँप लिया जिसने उन्हें ढाँप लिया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 78

وَأَضَلَّ فِرۡعَوۡنُ قَوۡمَهُۥ وَمَا هَدَىٰ

और फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को गुमराह किया और उन्हें सीधे रास्ते पर न चलाया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 79

يَٰبَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ قَدۡ أَنجَيۡنَٰكُم مِّنۡ عَدُوِّكُمۡ وَوَٰعَدۡنَٰكُمۡ جَانِبَ ٱلطُّورِ ٱلۡأَيۡمَنَ وَنَزَّلۡنَا عَلَيۡكُمُ ٱلۡمَنَّ وَٱلسَّلۡوَىٰ

ऐ बनी इसराईल! निःसंदेह हमने तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं से छुड़ाया और तुम्हें पर्वत के दाहिनी ओर[22] का वचन दिया और तुमपर 'मन्न' और 'सल्वा' उतारा।[23]

तफ़्सीर:

22. अर्ताथ तुमपर तौरात उतारने के लिए। 23. मन्न तथा सल्वा के भाष्य के लिये देखिए : सूरतुल-बक़रा, आयत : 57

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 80

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