कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

كُلُواْ مِن طَيِّبَٰتِ مَا رَزَقۡنَٰكُمۡ وَلَا تَطۡغَوۡاْ فِيهِ فَيَحِلَّ عَلَيۡكُمۡ غَضَبِيۖ وَمَن يَحۡلِلۡ عَلَيۡهِ غَضَبِي فَقَدۡ هَوَىٰ

खाओ उन पवित्र चीज़ों में से, जो हमने तुम्हें प्रदान की हैं तथा उनमें हद से न बढ़ो। अन्यथा तुमपर मेरा प्रकोप उतरेगा और जिसपर मेरा प्रकोप उतरा, तो निश्चय उसका सर्वनाश हो गया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 81

وَإِنِّي لَغَفَّارٞ لِّمَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَٰلِحٗا ثُمَّ ٱهۡتَدَىٰ

और निःसंदेह मैं निश्चय उसको बहुत क्षमा करने वाला हूँ, जो तौबा करे और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, फिर सीधे मार्ग पर चले।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 82

۞وَمَآ أَعۡجَلَكَ عَن قَوۡمِكَ يَٰمُوسَىٰ

और तुझे तेरी जाति से जल्दी क्या चीज़ ले आई ऐ मूसा!?[24]

तफ़्सीर:

24. अर्थात तुम पर्वत की दाहिनी ओर अपनी जाति से पहले क्यों आ गए और उन्हें पीछे क्यों छोड़ दिया?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 83

قَالَ هُمۡ أُوْلَآءِ عَلَىٰٓ أَثَرِي وَعَجِلۡتُ إِلَيۡكَ رَبِّ لِتَرۡضَىٰ

उसने कहा : वे मेरे पीछे ही हैं और मैं तेरी ओर जल्दी आ गया, ऐ मेरे पालनहार! ताकि तू प्रसन्न हो जाए।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 84

قَالَ فَإِنَّا قَدۡ فَتَنَّا قَوۡمَكَ مِنۢ بَعۡدِكَ وَأَضَلَّهُمُ ٱلسَّامِرِيُّ

(अल्लाह ने) फरमाया : तो निश्चय हमने तेरे पीछे तेरी जाति के लोगों को परीक्षा में डाल दिया है और सामिरी ने उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 85

فَرَجَعَ مُوسَىٰٓ إِلَىٰ قَوۡمِهِۦ غَضۡبَٰنَ أَسِفٗاۚ قَالَ يَٰقَوۡمِ أَلَمۡ يَعِدۡكُمۡ رَبُّكُمۡ وَعۡدًا حَسَنًاۚ أَفَطَالَ عَلَيۡكُمُ ٱلۡعَهۡدُ أَمۡ أَرَدتُّمۡ أَن يَحِلَّ عَلَيۡكُمۡ غَضَبٞ مِّن رَّبِّكُمۡ فَأَخۡلَفۡتُم مَّوۡعِدِي

फिर मूसा ग़ुस्से से भरा हुआ, खेद में डूबा हुआ अपनी जाति की ओर वापस आया। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! क्या तुम्हारे रब ने तुम्हें अच्छा वादा नहीं दिया था?[25] तो क्या वह अवधि तुम पर लंबी हो गई,[26] या तुमने चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का कोई प्रकोप उतरे? तो तुमने मेरा वादा[27] तोड़ दिया।

तफ़्सीर:

25. अर्थात धर्म-पुस्तक तौरात देने का वादा। 26. अर्थात वादा की अवधि दीर्घ प्रतीत होने लगी। 27. अर्थात मेरे वापस आने तक, अल्लाह की इबादत पर स्थिर रहने की जो प्रतिज्ञा की थी।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 86

قَالُواْ مَآ أَخۡلَفۡنَا مَوۡعِدَكَ بِمَلۡكِنَا وَلَٰكِنَّا حُمِّلۡنَآ أَوۡزَارٗا مِّن زِينَةِ ٱلۡقَوۡمِ فَقَذَفۡنَٰهَا فَكَذَٰلِكَ أَلۡقَى ٱلسَّامِرِيُّ

उन्होंने कहा : हमने अपने अधिकार से आपके वचन का उल्लंघन नहीं किया, लेकिन लोगों[28] के गहनों का कुछ बोझ हमपर लाद दिया गया था, तो हमने उन्हें फेंक[29] दिया और ऐसे ही सामिरी[30] ने फेंक दिया।

तफ़्सीर:

28. इससे अभिप्रेत फ़िरऔन की जाति है, जिनके आभूषण उन्होंने उधार ले रखे थे। 29. अर्थात अपने पास रखना नहीं चाहा, और एक अग्नि कुंड में फेंक दिया। 30. अर्थात जो कुछ उसके पास था।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 87

فَأَخۡرَجَ لَهُمۡ عِجۡلٗا جَسَدٗا لَّهُۥ خُوَارٞ فَقَالُواْ هَٰذَآ إِلَٰهُكُمۡ وَإِلَٰهُ مُوسَىٰ فَنَسِيَ

फिर उसने[31] उनके लिए एक बछड़ा निकाला, जो मात्र शरीर था, जिसकी गाय की सी आवाज़ थी। तो उन्होंने कहा : यही तुम्हारा पूज्य तथा मूसा का पूज्य है, सो वह भूल गया है।

तफ़्सीर:

31. अर्थात सामिरी ने आभूषणों को पिघला कर बछड़ा बना लिया।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 88

أَفَلَا يَرَوۡنَ أَلَّا يَرۡجِعُ إِلَيۡهِمۡ قَوۡلٗا وَلَا يَمۡلِكُ لَهُمۡ ضَرّٗا وَلَا نَفۡعٗا

तो क्या वे देखते नहीं कि वह न उनकी किसी बात का उत्तर देता है और न वह उनके किसी नुक़सान का मालिक है और न किसी लाभ का।[32]

तफ़्सीर:

32. फिर वह पूज्य कैसे हो सकता है?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 89

وَلَقَدۡ قَالَ لَهُمۡ هَٰرُونُ مِن قَبۡلُ يَٰقَوۡمِ إِنَّمَا فُتِنتُم بِهِۦۖ وَإِنَّ رَبَّكُمُ ٱلرَّحۡمَٰنُ فَٱتَّبِعُونِي وَأَطِيعُوٓاْ أَمۡرِي

और निःसंदेह हारून उनसे पहले ही कह चुका था : ऐ मेरी जाति के लोगो! बात यह है कि इसके द्वारा तुम्हारी परीक्षा की गई है और निश्चय तुम्हारा पालनहार रहमान (अत्यंत दयावान् अल्लाह) ही है। अतः मेरा अनुसरण करो तथा मेरे आदेश का पालन करो।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 90

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