कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَنُفِخَ فِي ٱلصُّورِ فَإِذَا هُم مِّنَ ٱلۡأَجۡدَاثِ إِلَىٰ رَبِّهِمۡ يَنسِلُونَ

तथा सूर (नरसिंघा) में फूँक[17] मारी जाएगी, तो एकाएक वे क़ब्रों से (निकलकर) अपने पालनहार की ओर दौड़ रहे होंगे।

तफ़्सीर:

17. इससे अभिप्राय दूसरी बार सूर फूँकना है जिससे सभी जीवित होकर अपनी समाधियों से निकल पड़ेंगे।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 51

قَالُواْ يَٰوَيۡلَنَا مَنۢ بَعَثَنَا مِن مَّرۡقَدِنَاۜۗ هَٰذَا مَا وَعَدَ ٱلرَّحۡمَٰنُ وَصَدَقَ ٱلۡمُرۡسَلُونَ

वे कहेंगे : हाय हमारा विनाश! किसने हमें हमारी क़ब्रों से उठा दिया? यही है जो रहमान ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 52

إِن كَانَتۡ إِلَّا صَيۡحَةٗ وَٰحِدَةٗ فَإِذَا هُمۡ جَمِيعٞ لَّدَيۡنَا مُحۡضَرُونَ

वह तो बस एक चिंघाड़ होगी, तो अचानक वे सब हमारे पास उपस्थित किए हुए होंगे।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 53

فَٱلۡيَوۡمَ لَا تُظۡلَمُ نَفۡسٞ شَيۡـٔٗا وَلَا تُجۡزَوۡنَ إِلَّا مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ

तो आज किसी प्राणी पर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाएगा और तुम्हें केवल उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 54

إِنَّ أَصۡحَٰبَ ٱلۡجَنَّةِ ٱلۡيَوۡمَ فِي شُغُلٖ فَٰكِهُونَ

निःसंदेह जन्नती लोग आज (नेमतों) का आनंद लेने में व्यस्त हैं।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 55

هُمۡ وَأَزۡوَٰجُهُمۡ فِي ظِلَٰلٍ عَلَى ٱلۡأَرَآئِكِ مُتَّكِـُٔونَ

वे तथा उनकी पत्नियाँ छायों में मस्नदों पर तकिया लगाए हुए हैं।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 56

لَهُمۡ فِيهَا فَٰكِهَةٞ وَلَهُم مَّا يَدَّعُونَ

उनके लिए उसमें बहुत सारा फल है तथा उनके लिए वह कुछ है, जो वे माँग करेंगे।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 57

سَلَٰمٞ قَوۡلٗا مِّن رَّبّٖ رَّحِيمٖ

सलाम हो। उस पालनहार की ओर से कहा जाएगा, जो अत्यंत दयावान् है।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 58

وَٱمۡتَٰزُواْ ٱلۡيَوۡمَ أَيُّهَا ٱلۡمُجۡرِمُونَ

तथा ऐ अपराधियो! आज तुम अलग[18] हो जाओ।

तफ़्सीर:

18. अर्थात ईमान वालों से।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 59

۞أَلَمۡ أَعۡهَدۡ إِلَيۡكُمۡ يَٰبَنِيٓ ءَادَمَ أَن لَّا تَعۡبُدُواْ ٱلشَّيۡطَٰنَۖ إِنَّهُۥ لَكُمۡ عَدُوّٞ مُّبِينٞ

ऐ आदम की संतान! क्या मैंने तुम्हें ताकीद[19] नहीं की थी कि शैतान की उपासना न करना? निश्चय वह तुम्हारा खुला शत्रु है।

तफ़्सीर:

19. भाष्य के लिए देखिए : सूरतुल-आराफ़, आयत : 172.

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 60

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