कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ أَنَّا خَلَقۡنَا لَهُم مِّمَّا عَمِلَتۡ أَيۡدِينَآ أَنۡعَٰمٗا فَهُمۡ لَهَا مَٰلِكُونَ

क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने अपने हाथों से बनाई हुई चीज़ों में से उनके लिए चौपाए पैदा किए, तो वे उनके मालिक हैं?

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 71

وَذَلَّلۡنَٰهَا لَهُمۡ فَمِنۡهَا رَكُوبُهُمۡ وَمِنۡهَا يَأۡكُلُونَ

तथा हमने उन्हें उनके वश में कर दिया, तो उनमें से कुछ उनकी सवारी हैं और उनमें से कुछ को वे खाते हैं।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 72

وَلَهُمۡ فِيهَا مَنَٰفِعُ وَمَشَارِبُۚ أَفَلَا يَشۡكُرُونَ

तथा उनके लिए उन (चौपायों) में कई लाभ और पीने की चीज़ें हैं। तो क्या (फिर भी) वे आभार प्रकट नहीं करते?

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 73

وَٱتَّخَذُواْ مِن دُونِ ٱللَّهِ ءَالِهَةٗ لَّعَلَّهُمۡ يُنصَرُونَ

और उन्होंने अल्लाह के सिवा कई पूज्य बना लिए, ताकि उनकी सहायता की जाए।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 74

لَا يَسۡتَطِيعُونَ نَصۡرَهُمۡ وَهُمۡ لَهُمۡ جُندٞ مُّحۡضَرُونَ

वे उनकी सहायता करने का सामर्थ्य नहीं रखते, तथा ये उनकी सेना हैं, जो उपस्थित[24] किए हुए हैं।

तफ़्सीर:

24. अर्थात वे अपने पूज्यों सहित नरक में झोंक दिए जाएँगे।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 75

فَلَا يَحۡزُنكَ قَوۡلُهُمۡۘ إِنَّا نَعۡلَمُ مَا يُسِرُّونَ وَمَا يُعۡلِنُونَ

अतः उनकी बात आपको शोकग्रस्त न करे। निःसंदेह हम जानते हैं जो वे छिपाते हैं और जो वे प्रकट करते हैं।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 76

أَوَلَمۡ يَرَ ٱلۡإِنسَٰنُ أَنَّا خَلَقۡنَٰهُ مِن نُّطۡفَةٖ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٞ مُّبِينٞ

क्या मनुष्य ने नहीं देखा कि हमने उसे वीर्य से पैदा किया? फिर अचानक वह खुला झगड़ालू बन बैठा।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 77

وَضَرَبَ لَنَا مَثَلٗا وَنَسِيَ خَلۡقَهُۥۖ قَالَ مَن يُحۡيِ ٱلۡعِظَٰمَ وَهِيَ رَمِيمٞ

और उसने हमारे लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया, और अपनी रचना को भूल गया। उसने कहा : इन अस्थियों को कौन जीवित करेगा, जबकि वे जीर्ण-शीर्ण हो चुकी होंगी?

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 78

قُلۡ يُحۡيِيهَا ٱلَّذِيٓ أَنشَأَهَآ أَوَّلَ مَرَّةٖۖ وَهُوَ بِكُلِّ خَلۡقٍ عَلِيمٌ

आप कह दें : उन्हें वही (अल्लाह) जीवित करेगा, जिसने उन्हें प्रथम बार पैदा किया और वह प्रत्येक उत्पत्ति को भली-भाँति जानने वाला है।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 79

ٱلَّذِي جَعَلَ لَكُم مِّنَ ٱلشَّجَرِ ٱلۡأَخۡضَرِ نَارٗا فَإِذَآ أَنتُم مِّنۡهُ تُوقِدُونَ

वह जिसने तुम्हारे लिए हरे वृक्ष से आग पैदा कर दी, फिर तुम उससे आग[25] सुलगाते हो।

तफ़्सीर:

25. भावार्थ यह है कि जो अल्लाह जल से हरे वृक्ष पैदा करता है फिर उसे सुखा देता है जिससे तुम आग सुलगाते हो, तो क्या वह इसी प्रकार तुम्हारे मरने-गलने के पश्चात् फिर तुम्हें जीवित नहीं कर सकता?

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 80

नूजलेटर के लिए साइन अप करें