कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

ءَآلۡـَٰٔنَ وَقَدۡ عَصَيۡتَ قَبۡلُ وَكُنتَ مِنَ ٱلۡمُفۡسِدِينَ

क्या अब? हालाँकि निःसंदेह तूने इससे पहले अवज्ञा की और तू बिगाड़ पैदा करने वालों में से था।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 91

فَٱلۡيَوۡمَ نُنَجِّيكَ بِبَدَنِكَ لِتَكُونَ لِمَنۡ خَلۡفَكَ ءَايَةٗۚ وَإِنَّ كَثِيرٗا مِّنَ ٱلنَّاسِ عَنۡ ءَايَٰتِنَا لَغَٰفِلُونَ

अतः आज हम तेरे शरीर को बचा लेंगे, ताकि तू अपने बाद आने वालों के लिए एक बड़ी निशानी[23] बन जाए और निःसंदेह बहुत-से लोग हमारी निशानियों से निश्चय ग़ाफ़िल हैं।

तफ़्सीर:

23. बताया जाता है कि 1898 ई◦ में इस फ़िरऔन का मम्मी किया हुआ शव मिल गया है, जो क़ाहिरा के विचित्रालय (अजायबघर) में रखा हुआ है।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 92

وَلَقَدۡ بَوَّأۡنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ مُبَوَّأَ صِدۡقٖ وَرَزَقۡنَٰهُم مِّنَ ٱلطَّيِّبَٰتِ فَمَا ٱخۡتَلَفُواْ حَتَّىٰ جَآءَهُمُ ٱلۡعِلۡمُۚ إِنَّ رَبَّكَ يَقۡضِي بَيۡنَهُمۡ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ فِيمَا كَانُواْ فِيهِ يَخۡتَلِفُونَ

और निःसंदेह हमने बनी इसराईल को सम्मानित ठिकाना[24] दिया और उन्हें पाकीज़ा चीज़ों से जीविका प्रदान की। फिर उन्होंने आपस में मतभेद नहीं किया, यहाँ तक कि उनके पास ज्ञान आ गया। निःसंदेह आपका पालनहार क़ियामत के दिन उनके बीच उस चीज़ का निर्णय कर देगा, जिसमें वे मतभेद करते थे।

तफ़्सीर:

24. इससे अभिप्राय मिस्र और शाम (लेवंत) के नगर हें।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 93

فَإِن كُنتَ فِي شَكّٖ مِّمَّآ أَنزَلۡنَآ إِلَيۡكَ فَسۡـَٔلِ ٱلَّذِينَ يَقۡرَءُونَ ٱلۡكِتَٰبَ مِن قَبۡلِكَۚ لَقَدۡ جَآءَكَ ٱلۡحَقُّ مِن رَّبِّكَ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمُمۡتَرِينَ

फिर यदि आपको उसमें कुछ संदेह[25] हो, जो हमने आपकी ओर उतारा है, तो उन लोगों से पूछ लें, जो आपसे पहले किताब पढ़ते हैं। निःसंदेह आपके पास आपके पालनहार की ओर से सत्य आ चुका है। अतः आप हरगिज़ संदेह करने वालों में से न हों।

तफ़्सीर:

25. आयत में संबोधित नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को किया गया है। परंतु वास्तव में उनको संबोधित किया गया है जिनको कुछ संदेह था। यह अरबी की एक भाषा शैली है।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 94

وَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ فَتَكُونَ مِنَ ٱلۡخَٰسِرِينَ

तथा आप उन लोगों में कभी न होना, जिन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया, अन्यथा आप घाटा उठाने वालों में से हो जाएँगे।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 95

إِنَّ ٱلَّذِينَ حَقَّتۡ عَلَيۡهِمۡ كَلِمَتُ رَبِّكَ لَا يُؤۡمِنُونَ

निःसंदेह जिन लोगों के विरुद्ध आपके पालनहार का फ़ैसला सिद्ध हो चुका, वे ईमान नहीं लाएँगे।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 96

وَلَوۡ جَآءَتۡهُمۡ كُلُّ ءَايَةٍ حَتَّىٰ يَرَوُاْ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِيمَ

चाहे उनके पास हर निशानी आ जाए, यहाँ तक कि वे दर्दनाक अज़ाब देख लें।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 97

فَلَوۡلَا كَانَتۡ قَرۡيَةٌ ءَامَنَتۡ فَنَفَعَهَآ إِيمَٰنُهَآ إِلَّا قَوۡمَ يُونُسَ لَمَّآ ءَامَنُواْ كَشَفۡنَا عَنۡهُمۡ عَذَابَ ٱلۡخِزۡيِ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا وَمَتَّعۡنَٰهُمۡ إِلَىٰ حِينٖ

तो कोई ऐसी बस्ती[26] क्यों न हुई जो ईमान लाई हो, फिर उसके ईमान ने उसे लाभ पहुँचाया हो, सिवाए यूनुस की जाति के लोगों के। जब वे ईमान ले आए, तो हमने उनसे सांसारिक जीवन में अपमान की यातना को टाल दिया[27] और उन्हें एक निश्चित समय तक लाभ उठाने का अवसर दे दिया।

तफ़्सीर:

26. अर्थात यातना का लक्षण देखने के पश्चात्। 27. यूनुस अलैहिस्सलाम का युग ईसा मसीह़ से आठ सौ वर्ष पहले बताया जाता है। भाष्यकारों ने लिखा है कि वह यातना की सूचना देकर अल्लाह की अनुमति के बिना अपने नगर नीनवा से निकल गए। इसलिए जब यातना के लक्षण नागरिकों ने देखे और अल्लाह से क्षमा याचना करने लगे, तो उनसे यातना दूर कर दी गई। (इब्ने कसीर)

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 98

وَلَوۡ شَآءَ رَبُّكَ لَأٓمَنَ مَن فِي ٱلۡأَرۡضِ كُلُّهُمۡ جَمِيعًاۚ أَفَأَنتَ تُكۡرِهُ ٱلنَّاسَ حَتَّىٰ يَكُونُواْ مُؤۡمِنِينَ

और यदि आपका पालनहार चाहता, तो निश्चय धरती में रहने वाले सभी लोग ईमान ले आते। तो क्या आप लोगों को बाध्य करेंगे कि वे मोमिन बन जाएँॽ[28]

तफ़्सीर:

28. इस आयत में यह बताया गया है कि सत्धर्म और ईमान ऐसा विषय है जिसमें बल का प्रयोग नहीं किया जा सकता। यह अनहोनी बात है कि किसी को बलपूर्वक मुसलमान बना लिया जाए। (देखिए : सूरतुल-बक़रह, आयत : 256)

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 99

وَمَا كَانَ لِنَفۡسٍ أَن تُؤۡمِنَ إِلَّا بِإِذۡنِ ٱللَّهِۚ وَيَجۡعَلُ ٱلرِّجۡسَ عَلَى ٱلَّذِينَ لَا يَعۡقِلُونَ

किसी प्राणी के लिए यह संभव नहीं है कि वह अल्लाह की अनुमति[29] के बिना ईमान लाए और वह उन लोगों पर मलिनता डाल देता है, जो समझ नहीं रखते।

तफ़्सीर:

29. अर्थात् उसके स्वभाविक नियम के अनुसार जो सोच-विचार से काम लेता है, वही ईमान लाता है।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 100

नूजलेटर के लिए साइन अप करें