कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

قُلۡ مَن يَرۡزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِ أَمَّن يَمۡلِكُ ٱلسَّمۡعَ وَٱلۡأَبۡصَٰرَ وَمَن يُخۡرِجُ ٱلۡحَيَّ مِنَ ٱلۡمَيِّتِ وَيُخۡرِجُ ٱلۡمَيِّتَ مِنَ ٱلۡحَيِّ وَمَن يُدَبِّرُ ٱلۡأَمۡرَۚ فَسَيَقُولُونَ ٱللَّهُۚ فَقُلۡ أَفَلَا تَتَّقُونَ

कहो : वह कौन है जो तुम्हें आकाश और धरती[13] से जीविका देता है? या फिर कान और आँख का मालिक कौन है? और कौन जीवित को मृत से निकालता और मृत को जीवित से निकालता है? और कौन है जो हर काम का प्रबंध करता है? तो वे ज़रूर कहेंगे : ''अल्लाह''[14], तो कहो : फिर क्या तुम डरते नहीं?

तफ़्सीर:

13. आकाश की वर्षा तथा धरती की उपज से। 14. जब यह स्वीकार करते हो कि संसार की व्यवस्था अल्लाह ही कर रहा है तो इबादत भी उसी की होनी चाहिए।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 31

فَذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمُ ٱلۡحَقُّۖ فَمَاذَا بَعۡدَ ٱلۡحَقِّ إِلَّا ٱلضَّلَٰلُۖ فَأَنَّىٰ تُصۡرَفُونَ

तो वह अल्लाह ही तुम्हारा सच्चा पालनहार है, फिर सत्य के बाद पथभ्रष्टता के सिवा और क्या हैॽ फिर तुम कहाँ फेरे जाते हो?

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 32

كَذَٰلِكَ حَقَّتۡ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى ٱلَّذِينَ فَسَقُوٓاْ أَنَّهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ

इसी प्रकार आपके पालनहार की बात उन लोगों के बारे में सत्य सिद्ध हुई जिन्होंने अवज्ञा की थी कि वे ईमान नहीं लाएँगे।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 33

قُلۡ هَلۡ مِن شُرَكَآئِكُم مَّن يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥۚ قُلِ ٱللَّهُ يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥۖ فَأَنَّىٰ تُؤۡفَكُونَ

(आप उनसे) कह दें : क्या तुम्हारे साझीदारों में से कोई है, जो सृष्टि का आरंभ करता हो, फिर उसे दोबारा बनाता होॽ आप कह दें : अल्लाह ही सृष्टि का आरंभ करता है, फिर उसे दोबारा बनाता है, तो तुम कहाँ बहकाए जाते होॽ

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 34

قُلۡ هَلۡ مِن شُرَكَآئِكُم مَّن يَهۡدِيٓ إِلَى ٱلۡحَقِّۚ قُلِ ٱللَّهُ يَهۡدِي لِلۡحَقِّۗ أَفَمَن يَهۡدِيٓ إِلَى ٱلۡحَقِّ أَحَقُّ أَن يُتَّبَعَ أَمَّن لَّا يَهِدِّيٓ إِلَّآ أَن يُهۡدَىٰۖ فَمَا لَكُمۡ كَيۡفَ تَحۡكُمُونَ

आप कह दें कि क्या तुम्हारे साझीदारों में से कोई है, जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे? आप कह दें कि अल्लाह ही सत्य का मार्गदर्शन करता है। तो क्या जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे, वह अधिक हक़दार है कि उसका अनुसरण किया जाए, या वह जो स्वयं रास्ता नहीं पाता सिवाय इसके कि उसे रास्ता बताया जाए? फिर तुम्हें क्या है, तुम कैसे फ़ैसला करते होॽ

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 35

وَمَا يَتَّبِعُ أَكۡثَرُهُمۡ إِلَّا ظَنًّاۚ إِنَّ ٱلظَّنَّ لَا يُغۡنِي مِنَ ٱلۡحَقِّ شَيۡـًٔاۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمُۢ بِمَا يَفۡعَلُونَ

और उनमें से अधिकांश लोग केवल अनुमान का पालन करते हैं। निश्चित रूप से अनुमान सत्य की तुलना में किसी काम का नहीं है। निःसंदेह अल्लाह उसे भली-भाँति जानने वाला है, जो कुछ वे कर रहे हैं।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 36

وَمَا كَانَ هَٰذَا ٱلۡقُرۡءَانُ أَن يُفۡتَرَىٰ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلَٰكِن تَصۡدِيقَ ٱلَّذِي بَيۡنَ يَدَيۡهِ وَتَفۡصِيلَ ٱلۡكِتَٰبِ لَا رَيۡبَ فِيهِ مِن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

और यह क़ुरआन ऐसा नहीं है कि अल्लाह के अलावा किसी और द्वारा घड़ लिया जाए, बल्कि यह उसकी पुष्टि करता है, जो इससे पहले है और किताब का विवरण (अर्थात् हलाल एवं हराम तथा धर्म के नियमों की व्याख्या) है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह सारे संसारों के पालनहार की ओर से है।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 37

أَمۡ يَقُولُونَ ٱفۡتَرَىٰهُۖ قُلۡ فَأۡتُواْ بِسُورَةٖ مِّثۡلِهِۦ وَٱدۡعُواْ مَنِ ٱسۡتَطَعۡتُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ

क्या वे कहते हैं कि उसने इस (क़ुरआन) को स्वयं गढ़ लिया हैॽ आप कह दें : तो तुम इस जैसी एक सूरत ले आओ और अल्लाह के सिवा जिसे बुला सको बुला लो, यदि तुम सच्चे हो।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 38

بَلۡ كَذَّبُواْ بِمَا لَمۡ يُحِيطُواْ بِعِلۡمِهِۦ وَلَمَّا يَأۡتِهِمۡ تَأۡوِيلُهُۥۚ كَذَٰلِكَ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡۖ فَٱنظُرۡ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلظَّـٰلِمِينَ

बल्कि उन्होंने उस चीज़ को झुठला दिया, जो उनके ज्ञान के घेरे में नहीं[15] आया, हालाँकि उसका वास्तविक तथ्य अभी तक उनके पास नहीं आया था। इसी तरह उन लोगों ने झुठलाया जो इनसे पहले थे। तो देखो कि अत्याचारियों का परिणाम कैसा हुआ?

तफ़्सीर:

15. अर्थात् बिना सोचे समझे इसे झुठलाने के लिए तैयार हो गए।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 39

وَمِنۡهُم مَّن يُؤۡمِنُ بِهِۦ وَمِنۡهُم مَّن لَّا يُؤۡمِنُ بِهِۦۚ وَرَبُّكَ أَعۡلَمُ بِٱلۡمُفۡسِدِينَ

और उनमें से कुछ ऐसे हैं जो इस (क़ुरआन) पर ईमान लाते हैं और उनमें से कुछ ऐसे हैं जो इसपर ईमान नहीं लाते और आपका पालनहार बिगाड़ पैदा करने वालों को भली-भाँति जानने वाला है।

सूरह का नाम : Yunus   सूरह नंबर : 10   आयत नंबर: 40

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